गोलू देवता मंदिर में भक्त स्टांप पेपर पर लिखकर मांगते हैं न्याय
उत्तराखंड में चितई (अल्मोड़ा) का ‘गोलू’ देवता मंदिर अपने किस्म का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां जाता है। इसकी साक्षी मंदिर में चारों तरफ टंगी सैकड़ों स्टांप पेपर पर लिखी अर्जियां हैं। अल्मोड़ा के चितई मंद
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उत्तराखंड में चितई (अल्मोड़ा) का ‘गोलू’ देवता मंदिर अपने किस्म का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां जाता है। इसकी साक्षी मंदिर में चारों तरफ टंगी सैकड़ों स्टांप पेपर पर लिखी अर्जियां हैं। अल्मोड़ा के चितई मंदिर में विराजमान गोलू देवता को ‘उत्तराखंड का न्यायाधीश’ माना जाता है। मंदिर के पुरोहित यहां अपनी समस्या निवारण की अर्जी लगाने वाले श्रद्धालु की अर्जी पढ़कर गोलू देवता को सुनाते हैं। उसके बाद उस आवेदन-पत्र को मंदिर परिसर में टांग दिया जाता है। फिर मन्नतें पूरी होने पर घंटियां चढ़ाईजाती हैं। पर्वतीय समाज की लोक मान्यता के अनुसार गोलू देवता महादेव शिव के गण प्रमुख काल भैरव का सौम्य रूप माने जाते हैं। माना जाता है कि जिसे कहीं पर भी न्याय न मिले, उसे इनके दरबार में अर्जी लगाने पर तुरंत न्याय मिल जाता है। यही वजह है कि देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां अर्जियां लगाने आते हैं। न्याय मिल जाने पर यहां श्रद्धालु द्वारा घंटी चढ़ाए जाने की भी परंपरा है। इसका प्रमाण देती हैं मंदिर प्रांगण में चढ़ाईगईं अनगिनत घंटियां। मंदिर प्रांगण में जितनी घंटियां नजर आती हैं, उनकी असल संख्या कहीं ज्यादा है, जिन्हें क्रमवार निकाल कर सुरक्षित रखा जाता है। खास बात है कि इन घंटियों को मंदिर प्रशासन गलाकर, बेचकर या फिर दूसरे कार्यों में इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि इसे धरोहर मानकर सहेज कर रखा जाता है।
कैसे पहुंचें
चितई का गोलू मंदिर अल्मोड़ा से आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर दिल्ली से करीब 400 किलोमीटर की दूरी पर है। लखनऊ या दिल्ली आदि से फ्लाइट से आने पर पंतनगर एयरपोर्ट है। पंतनगर से अल्मोड़ा करीब 120 किलोमीटर है। यहां से बस व टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। ट्रेन से काठगोदाम उतरकर अल्मोड़ा के लिए बस व टैक्सी ले सकते हैं। दिल्ली सेे आनंद विहार से सीधे अल्मोड़ा की बस ले सकते हैं।
पूनम नेगी