Devshayani Ekadashi 2019: सौभाग्यदायिनी है यह एकादशी, आरंभ हो रहा चातुर्मास
Ashadhi Ekadashi 2019: आषाढ़ माह में शुक्लपक्ष एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से श्री हरि भगवान विष्णु शयन करने चले जाते हैं।...
Ashadhi Ekadashi 2019: आषाढ़ माह में शुक्लपक्ष एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से श्री हरि भगवान विष्णु शयन करने चले जाते हैं। इस दिन उपवास रखने से जाने-अनजाने में किए गए पाप समाप्त हो जाते हैं। इस एकादशी को सौभाग्यदायिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी दिन से चातुर्मास भी आरंभ हो जाता है। चातुर्मास के दौरान पूजा-पाठ, कथा, अनुष्ठान से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। चातुर्मास को भजन, कीर्तन, सत्संग, कथा, भागवत के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।
पुराणों के अनुसार इस तिथि से आगामी चार माह के लिए भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष एकादशी पर भगवान विष्णु की योग निद्रा पूर्ण होती है। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। चातुर्मास में साधु-संत चार मास एक ही स्थान पर रहते हुए लोगों को धर्म का ज्ञान उपलब्ध कराकर सत्य के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसका अनुकरण आज भी साधु-संत करते हैं।
देवशयनी एकादशी 2019: आज है देवशयनी एकादशी व्रत, ये होते हैं नियम
कहा जाता है कि इन चार माह सत्य बोलने से मनुष्य के भीतर आध्यात्मिक प्रकाश उत्पन्न हो जाता है। इस एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। अगर ऐसा न कर पाएं तो गंगाजल से घर में छिड़काव करें। घर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। पूजा के बाद व्रत कथा अवश्य सुनें। आरती करें और प्रसाद बांटे।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।