देवदीपावली पर शहर के कुंड व तालाब भी दीयों की रोशनी से जगमग हो उठे। कुडों व तालाबों पर आयोजन समितियों ने रचनात्मक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। दीयों को सजाने के लिए स्थानीय निवासियों ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और इसे सामूहिक कार्यक्रम बनाया। लक्ष्मीकुंड, पितृकुंड, ईश्वरगंगी, रामकुंड, सूरजकुंड, पिशाचमोचन पर हर परिवार से लोग दीये, तेल और बाती लेकर पहुंचे और रोशनी का त्योहार धूमधाम से मनाया।
51 हजार दीपों से जगमग हुआ लक्ष्मीकुंड-
लक्ष्मीकुंड पर 51 हजार दीये सजाए गये थे। मां लक्ष्मी का विधि विधान से पूजन हुआ, महाआरती की गई। बच्चों ने रंगोली सजाई, लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक किया गया। प्राचीन लक्ष्मीकुंड देव दीपावली महोत्सव के कार्यक्रम संयोजक डॉ. दशरथ कुमार चौरसिया, राजन तिवारी, पार्षद लकी वर्मा, प्रकाश दुबे आदि का योगदान रहा।
पिशाचमोचन कुंड पर 5000 दीये जगमगाए -
पिशाचमोचन कुंड के आसपास रहने वाले लोगों ने देवदीपावली को खास बना दिया। हर घर से कोई एक लीटर, कोई पांच लीटर तेल लेकर पहुंचा और दीयों को जगमग कर दिया। यहां की छटा इतनी आकर्षक थी कि वहां से गुजर रहे राहगीर इसे मोबाइल कैमरों में कैद कर रहे थे। स्थानीय निवासी दिनेश, नवीन श्रीवास्तव, मुन्ना पाण्डेय, राजेश मिश्रा, महेंद्र सहाय ने बताया कि 12 साल से इसी तरह लोग मिलकर देवदीपावली मनाते हैं।
सूरजकुंड में फूलों से बनाया अखंड भारत का नक्शा-
कुंड के चारों ओर दीये सजे हुए थे। आयोजन समिति ने गेंदे व गुलाब के फूल व पत्तियों से अखंड भारत का नक्शा बनाया था। खासकर बच्चों में त्योहार का खासा उत्साह था। आतिशबाजी हो रही थी। अयोध्या फैसले के बाद लोगों ने खुशी जताते हुए राम मंदिर को विशेष तौर पर सजाया था। सूरजकुंड देव दीपावली समिति अध्यक्ष अरुण कुमार चौरसिया ने बताया कि 4000 दीये सजाए गए हैं। इसमें संतोष चौरसिया, गुलाब बिंद, संजय यादव, पन्नालाल यादव, प्रार्थना, राशि, खुशी, प्रियंका का योगदान रहा।
पित्रकुंड में गंगा आरती की तर्ज पर डमरूदल के साथ आरती-
गंगा आरती को देखने के लिए हजारों लोग बनारस आते हैं। लेकिन देव दीपावली पर जो लोग पितृकुंड के पास से गुजर रहे थे उन्हें गंगा आरती की तरह डमरू दल की धुन सुनाई पड़ रही थी। काफी संख्या में लोग इसे देखने पितृकुंड पहुंचे। कुंदन सैनी दशाश्वमेध घाट पर होने वाली आरती की तरह ही पूरे भाव से आरती कर रहे थे और छह युवाओं के डमरू दल ने समां बांध दिया। पितृकुंड साईं राम मंदिर परिषद के पदाधिकारी अनिल अग्रहरि ने बताया कि समिति के अलावा स्थानीय लोगों का विशेष योगदान रहता है।