Dev Deepawali 2023: देव दीपावली को लेकर लोगों के बीच भम्र की स्थिति, जानें तारीख, दीपदान का महत्व
Dev Deepawali 2023: देव दीपावली लोक आस्था का पर्व है। इसका उल्लेख वर्ष 1990 के पहले किसी पंचांग में नहीं मिलता। जो लोग चतुर्दशी उपरांत पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाने की सलाह देते हैं, वे इसका इतिहास नह

Dev Deepawali 2023 Date: हिंदू धर्म में देव दीपावली का बहुत महत्व है। देव दीपावली हर साल पवित्र शहर वाराणसी में मनाया जाने वाला एक मशहूर उत्सव है। देव दीपावली जिसे देव दिवाली भी कहा जाता है, राक्षस त्रिपुरासुर (त्रिपुरासुर) पर भगवान शिव की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। इसलिए देव दीपावली को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
देव दीपावली पर जलाते हैं दीये- देव दीपावली के दिन लोग गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीये जलाते हैं। न केवल गंगा के घाट बल्कि बनारस के सभी मंदिर भी लाखों दीयों से जगमगाते हैं।
देव दीपावली 2023 डेट को लेकर कंफ्यूजन: देव दीपावली की तिथि अपर जिला प्रशासन लगभग अंतिम निर्णय ले चुका है। कमिश्नर कौशल राज शर्मा का कहना है कि देव दीपावली का आयोजन 27 नवंबर को ही होगा। मंगलवार को प्रशासन, पुलिस व पर्यटन के अधिकारियों और आयोजन समितियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। इस बार देवदीपावली महोत्सव की तिथि के संबंध में काशी विद्वत परिषद और आयोजन समितियों की अलग-अलग राय आने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। मंडलायुक्त ने बताया कि 27 नवंबर को आयोजन पर लगभग सभी समितियों से सहमति ली जा चुकी है।
क्या कहता है द्रिक पंचांग: द्रिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ होगी और 27 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। द्रिक पंचांग के अनुसार, देव दीपावली 26 नवंबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी।
देव दीपावली 2023 शुभ मुहूर्त: द्रिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त 26 नवंबर को शाम 05 बजकर 08 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। पूजन की अवधि 02 घंटे 39 मिनट की है।
पिछले साल विशेष परिस्थितियों ंमें मनी थी देव दीपावली: पिछले वर्ष ग्रहण के कारण विशेष परिस्थितियों में चतुर्दशी उपरान्त देव दीपावली मनाई गई थी। उसके पीछे तर्क था कि ग्रहण काल में सूतक काल लगने से भोग-प्रसाद, दीप-तेल अपवित्र हो जाएंगे।
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