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दत्तात्रेय भगवान की जयंती 22 दिसंबर को, स्मरण मात्र से अपने भक्तों के पास पहुंचते हैं ही भगवान दत्तात्रेय

दत्तात्रेय भगवान की जयंती इस बार 22 दिसंबर को है। केवल स्मरण करने मात्र से ही दत्तात्रेय अपने भक्तों के पास पहुंच जाते हैं। आदि शंकराचार्य ने कहा है- आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देव: सदाशिव: /...

दत्तात्रेय भगवान की जयंती 22 दिसंबर को, स्मरण मात्र से अपने भक्तों के पास पहुंचते हैं ही भगवान दत्तात्रेय
पं भानुप्रतापनारायण मिश्र,नई दिल्लीTue, 18 Dec 2018 07:38 AM
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दत्तात्रेय भगवान की जयंती इस बार 22 दिसंबर को है। केवल स्मरण करने मात्र से ही दत्तात्रेय अपने भक्तों के पास पहुंच जाते हैं। आदि शंकराचार्य ने कहा है- आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देव: सदाशिव: / मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेयाय नमोस्तु ते॥ ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले / प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेयाय नमोस्तु ते॥ जो आदि में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अन्त में सदाशिव है, उन भगवान दत्तात्रेय को बारम्बार नमस्कार है। ब्रह्मज्ञान जिनकी मुद्रा है, आकाश और भूतल जिनके वस्त्र हैं तथा जो साकार प्रज्ञानघन स्वरूप हैं, उन भगवान दत्तात्रेय को बारम्बार नमस्कार है। सती अनुसूया और महर्षि अत्रि के पुत्र दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। इनके साथ हमेशा पृथ्वी रूप में गाय व वेद के रूप में चार श्वान *रहते हैं। .

उनके जन्म की कथा बहुत रोचक है। एक बार माता पार्वती, लक्ष्मी और सवित्री जी को अपने पतिव्रत और सद्गुणों पर अभिमान हो गया। नारद ने उनका अभिमान तोड़ने के लिए तीनों माताओं को कह दिया कि सती अनुसूया के समान पतिव्रता स्त्री तीनों लोकों में कोई नहीं है। तीनों देवियों ने त्रिदेवों को विवश किया कि वे अनुसूया का पतिव्रत धर्म भंग करें। .

त्रिदेव ने मुनि रूप धारण कर अत्रि मुनि की कुटी पर जाकर भोजन कराने की भिक्षा मांगी। अनुसूया जी ने भोजन परोसा तो मुनियों ने कहा- आप नग्न होकर भोजन कराओ, तब भिक्षा स्वीकार करेंगे। तब पतिव्रत बल के जरिये तुरंत माता अनुसूया ने त्रिदेवों के छल को जान लिया। उन्होंने पति का स्मरण कर जल त्रिदेव पर उड़ेल दिया। त्रिदेव तुरंत बाल रूप में आ गए। अनुसूया माता ने नग्न हो उन्हें भरपेट दूध पिलाया और पालने में सुला दिया। बहुत दिन बीत गए। त्रिदेव के न लौटने पर माताओं को परेशान देख कर नारद ने उन्हें सारा सच बताया। सभी माता अनुसूया के पास आईं और सती अनुसूया से क्षमा मांगी। दया कर अनुसूया ने पुन: अपने पति अत्रि के चरण धोये और वही जल तीनों बच्चों पर छोड़ दिया। त्रिदेव अपने पूर्वरूप में आ गए। पुन: त्रिदेव बनने पर तीनों के अंश से दत्तात्रेय जी का जन्म हुआ।.

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