कोरोना का साया: इस बार कान्हा का जन्म ऑनलाइन देख पाएंगे श्रद्धालु, मथुरा के प्रमुख मंदिरों में नहीं होगा श्रद्धालुओं का प्रवेश
इस बार कान्हा का जन्म तो होगा, लेकिन उनके भक्त आसपास नहीं होंगे। उन्हें ऑनलाइन ही दर्शन करने होंगे। कोरोना महामारी के चलते इसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बात की जानकारी कृष्ण जन्मस्थान के सचिव...
इस बार कान्हा का जन्म तो होगा, लेकिन उनके भक्त आसपास नहीं होंगे। उन्हें ऑनलाइन ही दर्शन करने होंगे। कोरोना महामारी के चलते इसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बात की जानकारी कृष्ण जन्मस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने दी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार इस बार उस समय मनाया जाएगा, जब कोरोना अपने चरम पर होगा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के साथ-साथ भारत विख्यात द्वारिकाधीश व ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के पट बंद रहेंगे। मंदिर प्रशासन ठाकुरजी के जन्मोत्सव की भव्यता में किसी भी तरह की कमी नहीं रखना चाह रहे। यही वजह है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान अभी से विद्युतीय सजावट से झिलमिला उठा है। संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि जन्मस्थान के मंच पर इस बार लीला नहीं होगी, जबकि पुष्पांजलि समारोह भी भागवत भवन में ही करने की योजना है। आम भक्त मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही भागवत भवन व गर्भगृह में ठाकुरजी का भव्यता के साथ जन्माभिषेक होगा और दूसरे दिन नंदोत्सव की धूम मचेगी। भजन व संकीर्तन मंडली बुलाई जाएंगी। भक्तों को जन्मोत्सव के लाइव दर्शनों के इंतजाम किए जा रहे हैं। जन्मोत्सव की पूरी प्लानिंग 6 अगस्त को की जाएगी।
उधर, द्वारिकाधीश मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि जन्माष्टमी की पूरी प्लानिंग को लेकर बड़ौदा में मीटिंग होनी है, जिसमें निर्णय लिया जाएगा। वैसे आम भक्तों को जन्मोत्सव के दर्शन कराना संभव नहीं लग रहा। लाइव दर्शन की प्लानिंग है। बताते चलें कि वृंदावन का ठाकुर बांके बिहारी मंदिर भी 30 सितंबर तक आम भक्तों के लिए बंद है। 29 जुलाई को प्रशासन की मंदिर प्रबंधकों के साथ हुई बैठक में भी 11 अगस्त को ही मंदिरों के पट दो दिन के लिए बंद करने की बात हुई थी। इसे लेकर प्रशासन भी एक-दो दिन में अपना रुख स्पष्ट करेगा। हालांकि प्रशासनिक सूत्रों पर यकीन करें तो जन्माष्टमी पर ब्रज के मंदिरों में आमभक्त इस बार जन्मोत्सव के दर्शन नहीं कर सकेंगे।
नहीं हो सकेंगे भंडारे के आयोजन
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर गतवर्ष जहां समूचा शहर भव्यता के साथ सजा था, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां आगमन से भी इस महोत्सव की भव्यता चरम पर पहुंची थी। परंतु, इस बार सब कुछ फीका-फीका रहने की उम्मीद है। न भंडारे ही लग सकेंगे और नही सार्वजनिक आयोजन होंगे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए वैसे भी श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना नगण्य है, लेकिन प्रशासन एतियात के दौर पर प्लानिंग करने में जुटा हुआ है। बताते चलें कि प्रतिवर्ष जन्माष्टमी पर शहर में तीन सौ से अधिक भंडारे लगते हैं।
नंदोत्सव का आयोजन भी औपचारिक
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तरह दूसरे दिन होने वाले नंदोत्सव के आयोजन पर भी कोरोना का ग्रहण लगना तय माना जा रहा है। नंदोत्सव का मुख्य आयोजन यमुनापार स्थित कस्बा गोकुल में होता है। यहां नंदभवन से ठाकुरजी की पालकी समूचे गोकुल में भ्रमण करती है, जबकि नंदचौक पर मुख्य आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों का रेला उमड़ता है।
कारोबारी व पंडा-पुरोहितों की मुश्किलें बढ़ीं
मथुरा। मुड़िया पूर्णिमा और हरियाली तीज के बाद अब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कोरोना का ग्रहण लगने से तीर्थ पुरोहितों के साथ-साथ कारोबारियों की कमर पूरी तरह टूट गयी है। ब्रज चौरासी कोस की यात्रा आयोजन भी इस बार नहीं हो सका है। ये तीनों ही त्योहार मथुरा-वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, महावन, बलदेव, नंदगांव-बरसाना जैसे तीर्थस्थलों के वाशिंदों को खून के आंसू रुलाने वाले साबित हुए हैं। पंडा-पुरोहित, मूर्ति-श्रंगार, खानपान के कारोबार से रोजी-रोटी कमाने वालों का बुरा हाल है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें? क्या न करें?