ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News AstrologyChhath Puja 2022 Chhath Puja begins now Kharna Arghya surya Sun rise sunset time date Astrology in Hindi

Chhath Puja 2022: नहाय खाय के साथ छठ पूजा आज से शुरू, जानें खरना और अर्घ्य का समय

केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंडराय, मारबउ रे सुगवा धनुष से, कांच ही बांस के बन बहंगिया बहंगी लचकत जाय.. जैसे लोक आस्था के गीतों के साथ डाला छठ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया।

Pankaj Vijayसंवाददाता,लखनऊ प्रयागराजFri, 28 Oct 2022 07:21 AM
ऐप पर पढ़ें

केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंडराय, मारबउ रे सुगवा धनुष से, कांच ही बांस के बन बहंगिया बहंगी लचकत जाय.. जैसे लोक आस्था के गीतों के साथ डाला छठ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय होता है। छठ पर्व पर संतान की सुख-समृद्धि व दीर्घायु की कामना के लिए सूर्यदेव और षष्ठी माता की स्तुति की जाएगी। लोग स्नान कर नए वस्त्रत्त् धारण कर पूजा के बाद चना, दाल, कद्दू की सब्जी का सेवन करेंगे।  

उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। छठ चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। महिलाएं तीन दिन तक उपवास, सूर्य भगवान की पूजा करती हैं। पर्व का तीसरा दिन मुख्य छठ पूजा का होता है।

आज से शुरु हुए छठ महापर्व के तहत कल शनिवार को खरना होगा। महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी। शाम को खरना पूजन करेंगी। चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद ग्रहण करेंगी। ठेकुआ का प्रसाद कुल देवता और छठ मइया को अर्पित किया जाएगा। घरों में छठ मईया का अखंड दीप जलाकर मनौती की जाएगी। मान्यता है कि खरना के बाद से ही षष्ठी मइया का घर में आगमन होता है। 30 अक्तूबर को संगम व गंगा-यमुना के विभिन्न घाटों पर व्रती लोग डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस क्रम में 31 अक्तूबर को उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण होगा। पर्व को लेकर घरों में उत्साह है। पूजन सामग्री की साफ-सफाई और प्रसाद बनाने की तैयारी पूरी हो गयी है।

व्रत, पूजन का दिन और समय
प्रमुख तिथियां एवं मुहूर्त

- सूर्य षष्टी व्रत आरंभ 28 अक्तूबर शुक्रवार नहाय खाय।
- सूर्य षष्टी व्रत द्वितीय दिन (खरना) 29 अक्तूबर शनिवार।
- मुख्य व्रत 30 अक्तूबर दिन रविवार को। सूर्यास्त का समय 0534 बजे। इस दिन अस्तांचलगामी सूर्य देव को सायंकालीन अर्घ्य का समय शाम 529 से 539 बजे तक।
- 31 अक्तूबर को सूर्योदय 629 बजे। अत प्रात कालीन अर्घ्य सुबह 0627 से 0634 बजे एवं पारण प्रसाद ग्रहण करके।

29 अक्तूबर को खरना, सूर्य देव को लगेगा भोग
पं. पूर्वांचली ने बताया कि छठ महापर्व की शुरूआत 28 अक्टूबर को नहाय खाय से हो रही है। इस दिन महिलाएं स्नान करके नई साड़ियां पहनकर भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। इसी दिन भकद्दू की सब्जी खायी जाती है। दूसरे दिन यानी 29 अक्तूबर को खरना है। इस दिन सूर्यास्त के बाद गुड़, दूध वाली खीर और रोटी बनाई जाती है। खरना के दिन महिलाएं सूर्य देव को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करती हैं। फिर महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

30 को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
महर्षि पराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि सूर्यषष्ठी व्रत 30 अक्तूबर रविवार को होगा। सायंकाल अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य का समय शाम 534 बजे है। पं. राकेश ने बताया कि इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। पूजा का समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन सूर्योदय के बाद होता है। सप्तमी 31 को है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा।

हर परंपरा में पवित्रता का विशेष ध्यान
राकेश पांडेय ने बताया कि छठ की हर परंपरा में पवित्रता का जरूर ध्यान रखना चाहिए तभी व्रत का फल प्राप्त होता है। नहाय खाय के दिन व्रती पूरी शुद्धता के घर की अच्छी तरह सफाई करें। व्रतियों के पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है। खाना बनाते समय कोई जूठी वस्तु का इस्तेमाल न हो। व्रती के साथ घर में रहने वाले सदस्यों को भी शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

पूजन के लिए चाहिए 45 सामग्री
छठ पूजन में मुख्य रूप से 45 सामग्री की जरूरत पड़ती है। इसमें नारियल, धूप, कलशुप, दउरा, गागल, नीबू, सेब, केला, संतरा, शरीफा, पानी फल, कच्चा केला, पान का पत्ता, सुपारी, कपूर, लौंग, लाल सिंदूर, दीपक, कोशी, कोन, अनारश, कलश, साठी चावल चिउरा, गुड़, हल्दी का पत्ता, अदरक, मूली, अरूई, गन्ना, सुथनी, अमरूद, आरता पात, अगरबत्ती, माचिस, घी, तेल, गमछा कोशी, फूल माला, बोडो, आम की लकड़ी, सिरकी बेरा, नए वस्त्रत्त्, नाशपाती, शकरकंदी और कुमकुम शामिल है। बाजार में कलशुप, बोडो, सिरकी बेरा मुंडेरा मंडी में मिलेगा। बाकी सभी पूजन सामग्री चौक और कमरा में उपलब्ध है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें