Chhath Puja 2020: प्रात:, दोपहर और सायंकालीन सूर्य के लिए अलग मंदिर, वायु पुराण व भविष्योत्तर पुराण में है इन मंदिरों का उल्लेख
गयाधाम में भगवान विष्णुचरण के अलावा सुबह, दोपहर और सायंकालीन भगवान भाष्कर की पूजा के लिए अलग-अलग मंदिर हैं। वायु पुराण में इन मंदिरों का जिक्र है। ऐसी मान्यता है कि इन मंदिरों में सूर्य की उपासना...
गयाधाम में भगवान विष्णुचरण के अलावा सुबह, दोपहर और सायंकालीन भगवान भाष्कर की पूजा के लिए अलग-अलग मंदिर हैं। वायु पुराण में इन मंदिरों का जिक्र है। ऐसी मान्यता है कि इन मंदिरों में सूर्य की उपासना करने से अन्न-धन और पुत्र की प्राप्ति होती है। व्यक्ति सेहतमंद रहता है। तीनों काल के ये सूर्य मंदिर फल्गु तट पर हैं। आचार्य लालभूषण मिश्र वैदिक कहते हैं- दोनों पुराणों के अनुसार, पितामहेश्वर घाट पर स्थित शीतला मंदिर में प्रात:कालीन भगवान सूर्य ब्रह्म के रूप में मौजूद हैं।
ब्राह्मणी घाट किनारे मध्याह्न सूर्य भगवान शिव के रूप में है, जबकि सूर्यकुंड में सायंकालीन विष्णु के रूप में भगवान आदित्य का मंदिर है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यकुंड के सूर्य मंदिर और उगते आदित्य को अर्घ्य देने के लिए ब्राह्मणी घाट व पितामहेश्वर मंदिर में श्रद्धालु आते हैं। सालों भर रविवार को इन मंदिरों में भीड़ होती है। वैशाख माह के हर रविवार को तो विशेष भीड़ जुटती है।
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सूर्योपासना से मिलती है कंचन काया
आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक कहते हैं- विष्णुनगरी गया में तीनों काल के भगवान सूर्य हैं। लेकिन काल निर्धारण में विद्वानों में मतभेद है। भविष्योत्तर पुराण से स्थिति स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि इन सूर्य मंदिरों में आराधना से कंचन काया (स्वस्थ शरीर) और पुत्र की प्राप्ति होती है। सूर्य महात्म्य के अनुसार, प्रतिदिन भगवान सूर्यदेव को नमन करने से हजार जन्म की दरिद्रता दूर होती है। ब्राह्मणी घाट पर द्वादश आदित्य की प्रतिमा है। साथ ही प्रधान प्रतिमा पूरे सूर्य परिवार के साथ है।
वायुपुराण में है इसका बखान
तीनों मंदिरों की महिमा दूर-दूर तक है। औरंगाबाद जिले के अलावा गया शहर में प्रात:कालीन, मध्यकालीन और सायंकालीन भगवान सूर्य की प्रतिमाएं हैं। औरंगाबाद में एक ही मंदिर में तीनों काल के सूर्य हैं जबकि गयाधाम में तीनों सूर्य मंदिर अलग-अलग हैं। इसका वर्णन भविष्योत्तर और वायपुराण में है। महापर्व छठ पर सूर्य मंदिर वाले फल्गु के इन घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है।