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Chhath Puja 2020: बिहार में सूर्योपासना का महापर्व छठ कल से शुरू

बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ कल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत:करण की शुद्धि के लिए कल...

Chhath Puja 2020: बिहार में सूर्योपासना का महापर्व छठ कल से शुरू
एजेंसी,पटनाTue, 17 Nov 2020 12:50 PM
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बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ कल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत:करण की शुद्धि के लिए कल नहाय-खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे। श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।

महापर्व छठ को लेकर घर से घाट तक तैयारियां जोरों पर है। व्रती घर की साफ-सफाई के साथ व्रत के लिए पूजन सामग्री खरीदने में जुट गए हैं। कोई व्रती अपने घर में नहाय-खाय के लिए चावल चुनने में लगी हैं तो कोई छत पर गेहूं सुखाने में लगी हैं। छठ व्रतियों के लिए गंगा घाटों को साफ-सुथरा और सजाने के काम में विभिन्न इलाकों की छठ पूजा समिति और स्वयं सेवक भी लगे हुए है। इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गों पर तोरण द्वारा बनाए जा रहे है और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है।

महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूयार्स्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं । भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं। दीपावली के छह दिन बाद सूर्य की उपासना का पर्व छठ कल बुधवार से शुरू हो रहा है जिसमें डूबते और उगते सूर्य की पूजा की जाती है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत अन्य हिस्सों खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाए जाने वाले इस पर्व में सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य देने वाली महिलाओं और पुरूषों का 36 घंटे से ज्यादा का व्रत गुरूवार शाम से शुरू हो जाएगा। छठ की शुरूआत तो कल से होगी लेकिन सूर्य को अर्घ्य 20 नवम्बर की शाम और 21 की सुबह दिया जाएगा।

बुधवार को नहाय खाय से शुरू होगा यह पर्व जिसमें लौकी दाल और चावल बनता है। उसके अगले दिन खरना होता है जिसमें खीर और पूरी बनती है। छठ करने वाली महिलाएं और पुरूष खरना की खीर खाकर व्रत की शुरूआत करते हैं। दो दिन बाद सुबह का अर्घ्य देने के पश्चात ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं।

छठ बिहार और पूवीर् उत्तर प्रदेश का प्रमुख पर्व है जो अब देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है। मुम्बई और कोलकाता में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। इन दो महानगरों में भी छठ धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 1984 के पहले लोग छठ पूजा के बारे में नहीं जानते थे, लेकिन उस साल अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से चार पांच लोगों ने मिलकर इस पर्व को लक्ष्मण मेला मैदान में मनाया।

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