देशभर में चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है। छठ में सूर्यदेव की उपासना की जाती है। प्रातः काल सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की आखिरी किरण को अर्घ्य देकर ही छठ का व्रत पूरा किया जाता है। मान्यता है कि छठी मैया, सूर्यदेव की बहन हैं। सूर्यदेव को अर्घ्य देने पर छठी मैया खुश होकर सभी को सुख-शांति प्रदान करती हैं।
हिंदू मान्यतों के अनुसार सूर्यदेव ही केवल ऐसे देवता हैं जिनके प्रत्यक्ष दर्शन किए जा सकते हैं। पुराणों के नजरिए से देखें तो सूर्य को पंचदेवों में से एक माना गया है और इसीलिए सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है।
सूर्यदेव की बहन हैं छठ माता:
षष्ठी देवी को ही छठी मैया कहा गया है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है, जो निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं। संतान को दीर्घायु प्रदान करती हैं।
इसके साथ ही छठ पर्व को लेकर बिहार में मान्यता है कि रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान श्रीराम और माता सीता ने उपवास रखकर सूर्यदेव की पूजा की थी।
एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व का आरंभ महाभारत काल में हुआ था। सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे और पूजा के पश्चात किसी याचक को कभी खाली हाथ नहीं लौटाते थे।
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