धोखे से लिया या चुराया गया रत्न होता कष्टादायक
आम लोगों की यह धारणा है कि रत्न पहनने से लाभ एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है। हालांकि यह बहुत कम लोगों को पता होगा ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञों से परामर्श किए बिना रत्न धारण करना अनिष्ट कारक भी हो...

आम लोगों की यह धारणा है कि रत्न पहनने से लाभ एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है। हालांकि यह बहुत कम लोगों को पता होगा ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञों से परामर्श किए बिना रत्न धारण करना अनिष्ट कारक भी हो सकता है। साथ ही किसी से धोखे से प्राप्त किया रत्न या चुराया गया रत्न भी कष्टदायक हो होता है।
रत्न दुर्लभ और मूल्यवान होने के कारण जनसामान्य के उपयोग के बाहर हैं। संपन्न लोग ही रत्नों का उपयोग कर पाते हैं, किंतु यह आवश्यक नहीं है कि समस्त रत्न सभी के लिए अनुकूल हों। रत्न धारण से शोभा वृद्धि हो सकती है, परंतु लाभ भी होगा यह जरूरी नहीं। रत्न धारण करने से पहले ज्योतिष के मान्यता प्राप्त हो जाए, तभी अच्छा है।
इसके पीछे रश्मि सिद्धांत और समय विज्ञान की बारीकियां काम आती है पर्यावरण का प्रभाव रत्न धारण के समय अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों का जनक होता है। उसी से सामंजस्य करके ज्योतिर्विद्या परामर्श देते हैं कि किस समय कौन सा रत्न धारण करना चाहिए। ताकि वह अंतरिक्ष से प्रसारित अदृश्य किरणों ग्रहीय प्रभाव तथा पर्यावरण या प्रतिक्रिया के अनुकूल सिद्ध हो सके। यदि ऐसा न हो सका तो आशंका रहती है कि रत्न धारक के लिए संबंधित रत्न क्लेश वर्धक में हो जाए।
रत्न धारण से जुड़ी निषेधात्मक बातें
यदि कोई भी रत्न वास्तविक भवन, अच्छे दोस्त चिन्हों से युक्त, चुराया हुआ, हिंसा, हत्या, छीना हुआ, संस्कार विहीन, प्राण प्रतिष्ठा वर्जित वर्ण वाला, कृतिम, अशुभ मुहूर्त अथवा दुर्भाग्य ग्रस्त व्यक्ति द्वारा प्रदत हो तो वह सर्वदा त्याज्य होता है। ऐसा रत्न धारण करने से सदैव हानि की आशंका रहती है।