Chandra grahan Sutak: चंद्र ग्रहण की वजह से 32 सालों में चौथी बार टूट रही है Kashi की यह परंपरा
Ganga aarti lunar eclipse: सूर्य ग्रहण के बाद अब चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लग रहा है। यह ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल प्रभावी माना जाएगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह ग्रहण ए
Chandra grahan Sutak ganga aarti: काशी में बीते 32 वर्षों से अनवरत हो रही मां गंगा की दैनिक आरती 28 अक्तूबर को चौथी बार दिन में की जाएगी। ऐसा चंद्रग्रहण के कारण होगा। गंगा सेवा निधि की ओर से दशाश्वमेध घाट पर 28 अक्तूबर को गंगा आरती दोपहर ढाई बजे आरंभ होगी। आरती का समापन साढ़े तीन बजे होगा।
इससे पहले तीन बार चंद्रग्रहण के कारण आरती का समय बदला जा चुका है। पिछली बार 16 जुलाई 2019 को समय बदला गया था। उसके पहले 27 जुलाई 2018 और आठ अगस्त 2017 को गंगा आरती चंद्र ग्रहण के कारण दोपहर में की गई थी। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र के अनुसार खंडग्रास चंद्रग्रहण का सूतक काल, ग्रहण के स्पर्श से नौ घंटे पूर्व शुरू हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए आरती का समय बदला गया है। 28 अक्तूबर को चंद्र ग्रहण का सूतक सायंकाल 0425 बजे आरंभ हो जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण से पूर्व देवालयों के कपाट बंद करने की परंपरा है।
ग्रहण पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, यूरोप, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका, उत्तर-पूर्वी उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। द्र ग्रहण आधी रात के आसपास भारत के सभी स्थानों पर दिखाई देगा। ग्रहण की अवधि 1 घंटा 19 मिनट रहेगी. ग्रहण का उपच्छाया चरण 01 बजे शुरू होगा। 29 अक्टूबर को 05 मिनट और 02:24 मिनटपर समाप्त होगा।
नासा के अनुसार, चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के ठीक बीच में स्थित होती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा की सतह पर पड़ती है, जिससे चंद्रमा की सतह धुंधली हो जाती है और कभी-कभी कुछ घंटों के दौरान चंद्रमा की सतह एकदम लाल हो जाती है।
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