पति-पत्नी का रिश्ता काफी खास और अहम होता है। यह दोनों परिवार नाम की गाड़ी के दो पहिए माने गए हैं। कहते हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता बिना तालमेल नहीं चल सकता है। पति-पत्नी के बीच एक-दूसरे के समझने की क्षमता होने से दोनों की जीवन सुखद होता है। चाणक्य कहते हैं कि जिन घरों में पति-पत्नी के बीच प्रेम की कमी होती है, वहां कलह और दुख का वातावरण होता है। चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि आखिर पत्नी के लिए उसका पति कब सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है-
1. बुरे चरित्र वाली स्त्री के लिए शत्रु है पति- चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई स्त्री बुरे चरित्र वाली है या उसका संबंध किसी पराए आदमी से है तो वह अपने पति को सबसे बड़ा दुश्मन मानती है। चाणक्य के अनुसार, स्त्री के बुरे कामों पर रोक-टोक करने पर वह पति को अपना दुश्मन मानने लगती है।
2. बुराइयों में लिप्त पति-पत्नी- चाणक्य कहते हैं कि अगर पति या पत्नी दोनों में से कोई एक भी गलत काम में घिरा रहता है तो दूसरे को भी इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं। पति की गलती का पत्नी और पत्नी की गलती का पति पर बुरा असर पड़ता है।
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3. लोभी का शत्रु है- याचक: चाणक्य कहते हैं कि लालची व्यक्ति का मोह धन पर ही रहता है। ऐसे लोग जान से ज्यादा धन से स्नेह करते हैं। नीति शास्त्र के अनुसार, अगर इन लोगों के घर कोई मांगने वाला आ जाए तो यह लोग उसे शत्रु के समान देखते हैं। ऐसे लोगों को दान-पुण्य करना व्यर्थ लगता है।
4. मूर्ख का शत्रु- उपदेश देने वाला: चाणक्य कहते हैं कि जो लोग मूर्ख होते हैं वे ज्ञानी लोगों को अपना शत्रु मानते हैं। मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान की बात बताने पर वह सामने वाले को शत्रु के समान देखता है। चाणक्य के अनुसार, ज्ञान की बातें मूर्ख व्यक्ति को चुभती हैं।