आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कई समस्याओं का समाधान बताया है। घर-परिवार, रोजी-रोजगार, बिजनेस, तरक्की और धनवान बनने से जुड़ी कई नीतियों का जिक्र किया है। कहते हैं कि आचार्य चाणक्य की नीतियों को अपना पाना आसान नहीं होता है, लेकिन जिसने भी अपना लिया वह जल्दी तरक्की हासिल कर लेता है। इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने ऐसी पांच जगहों के बारे में भी बताया है, जहां व्यक्ति को भूलकर भी घर नहीं बनवाना चाहिए। जानिए ऐसी जगहों के बारे में।
लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न वर्तन्ते न कुर्यात् तत्र संस्थिति:॥
जो व्यक्ति इन 4 बातों का रखते हैं हमेशा ध्यान, धनवान बनने के साथ तरक्की के खुल जाते हैं रास्ते
आचार्य चाणक्य श्लोक में कहते हैं कि-
जहां के लोग दान देना जानते ही नहीं हों।
जहां लोगों में लोकलाज व किसी प्रकार का भय न हो।
जिस स्थान पर परोपकारी लोग न हों और जिनमें त्याग की भावना न पाई जाती हो।
जहां रोजी-रोटी, आजीविका या व्यापार का कोई साधन व स्थिति न हो।
जहां लोगों को समाज या कानून का कोई भय न हो।
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ऐसे स्थान पर व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता और उसका रहना मुश्किल होता है। ऐसे में व्यक्ति को घर बनाने के लिए आसपास का स्वस्थ वातावरण चुनना चाहिए, जहां सभी प्रकार के साधन उपलब्ध हो और व्यावहारिक स्थान चुनना चाहिए। ताकि वह परिवार के साथ सुरक्षित एवं सुखी रह सके।
चाणक्य कहते हैं कि जहां लोगों में आस्था का भाव होगा, उनमें ही आदर का भाव होगा। ऐसे में त्याग, कर्म और भाईचारे की भावना होगी। ऐसे लोग खुद की बजाए दूसरों का हित चाहने वाले होंगे।