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Chanakya Niti: ऐसे 8 लोगों पर भूलकर भी न करें भरोसा, बढ़ाते हैं परेशानी

Chanakya Niti 2023: प्राचीन भारतीय राजनीति के प्रकांड विद्वान और अर्थशास्त्र के रचयिता आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई कई बातों पर आज भी लोग भरोसा करते हैं। उन्होंने नीति शास्त्र में मित्रों से लेकर दुश्

Chanakya Niti: ऐसे 8 लोगों पर भूलकर भी न करें भरोसा, बढ़ाते हैं परेशानी
Alakha Singhलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 04 Feb 2023 02:17 PM

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Chanakya Niti: प्राचीन भारतीय राजनीति के प्रकांड विद्वान और अर्थशास्त्र के रचयिता आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई कई बातों पर आज भी लोग भरोसा करते हैं। उन्होंने नीति शास्त्र में मित्रों से लेकर दुश्मनी तक की नीति का जिक्र किया है। चाणक्य का मानना है कि हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे लोगों का होना बेहद जरूरी है जो भरोसेमंद हों। साथ ही ऐसे लोग जिनसे किसी प्रकार के नुकसान की आशंका न हो उनका काफी महत्व है। लेकिन कई बार जिंदगी के सफर में कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात हो जाती है जो सांप के समान विषैले होते हैं। आचार्य चाणक्य ने ऐसी ही परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने विचार प्रगट किए हैं। उन्होंने एक श्लोक के जरिए 8 प्रकार के लोगों के बारे में बताया जिनपर भूलकर भी भरोसा नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें अपना दुख बताना चाहिए। चाणक्य का मानना है कि सांप जैसे विषैले प्राणी का दांत ही विष से भरा होता है जबकि यहां वर्णित 8 प्रकार के लोगों के हर अंग जहरीला होता है।

पढ़िए चाणक्य नीति का यह प्रसिद्ध श्लोक :

राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।    
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।। 

इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि संसार में 8 तरह के ऐसे लोग हैं जो किसी भी व्यक्ति की परेशानी को नहीं समझते हैं। चाणक्य के मुताबिक, राजा, यमराज, अग्नि, बालक, चोर, वेश्या, याचक पर किसी भी दुख का कोई असर नहीं होता है। इसके साथ ही ग्रामीणों को कष्ट देने वाले (गांव का कांटा)  भी दूसरे के दुख से दुखी नहीं होते।

चाणक्य कहते हैं कि इनके सामने अपनी पीड़ा या दर्द बताने का कोई असर नहीं होता है। चाणक्य का मानना है कि इन लोगों का सामना होने पर व्यक्ति को धैर्य व समझदारी से काम लेना चाहिए। चाणक्य नीति के अनुसार, इन लोगों से बचकर रहने में ही भलाई है।

तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम् ।। 

चाणक्य कहते हैं कि सांप का विष उसके दांत में, मक्खी का विष उसके सिर और बिच्छू का विष उसकी पूंछ में होता है। यानी विषैले प्राणियों के एक-एक अंग में ही विष होता है। लेकिन दुष्ट व्यक्ति के सभी अंग विष से भरे होते हैं। चाणक्य कहते हैं कि दुर्जन व्यक्ति सदैव अपने बचाव के लिए अपने ही विष का इस्तेमाल करते हैं।  
 

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