आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में तरक्की, शत्रुता, मित्रता, भविष्य, वैवाहिक जीवन और धन से जुड़े मामलों की नीतियां बताई हैं। कहते हैं कि आचार्य चाणक्य की नीतियों को अपनाना मु्श्किल होता है, हालांकि जिसने भी अपना लिया उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। नीति शास्त्र यानी चाणक्य नीति में चाणक्य ने 6 ऐसे गुणों का वर्णन किया है, जो व्यक्ति को पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर मिलते हैं।
भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना ।
विभवो दानशक्तिश्च नाल्पस्य तपसः फलम् ॥
इस श्लोक के जरिए चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उसके पिछले जन्म के आधार पर ही 6 चीजें मिलती हैं। इनमें से सबसे पहले भोजन का जिक्र उन्होंने किया है। चाणक्य कहते हैं कि भाग्य के धनी लोगों को ही बेहतर भोजन मिल पाता है। इसके लिए वह पिछले जन्म के कर्मों को वजह मानते हैं।
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भोजन के बाद चाणक्य ने व्यक्ति में अच्छी पाचन शक्ति का जिक्र किया है। चाणक्य के अनुसार, पिछले जन्म में अच्छे कर्म करने वाले लोगों के पास ही खाना पचा पाने की क्षमता होती है। वरना कई लोगों को भोजन से भी दिक्कत हो जाती है। तीसरे स्थान पर चाणक्य जीवनसाथी को रखते हैं। चाणक्य कहते हैं कि सुंदर और गुणवान जीवनसाथी का मिलना पिछले जन्म के कर्मों पर निर्भर करता है। गुणवान पार्टनर मिल जाए तो जीवन की ज्यादातर समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
चाणक्य इस श्लोक में आगे कहते हैं कि व्यक्ति को खुद पर काम को हावी नहीं होने देना चाहिए। चाणक्य का मानना है कि काम के वश में रहने वाला व्यक्ति जल्दी बर्बाद हो जाता है। 5वीं चीज चाणक्य के मुताबिक पैसों के इस्तेमाल की सही जानकारी है। चाणक्य कहते हैं कि धन कमाने से ज्यादा मुश्किल को धन सहेजकर रखना होता है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को यह गुण भी उसके कर्मों के आधार पर ही मिलता है।
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चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति में दान का भाव होना जरुरी होता है। नीति शास्त्र के अनुसार, दुनिया में धनवानों की कमी नहीं है लेकिन दान देने की आदत और इच्छा शक्ति बेहद कम लोगों में होती है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति में यह गुण भी पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर मिलता है।