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Chaitra Navratri 2022: इस बार घोड़े पर आ रही हैं माता, जानें इससे पड़ता है क्या असर, पूजा में क्या करें ये विशेष काम

नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्र का भी शुभारंभ 2 अप्रैल 2020 दिन शनिवार को हो जाएगा। चैत्र नवरात्र का महत्व इसी बात से स्पष्ट होता है कि इसी दिन परम पिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। चैत्र

Chaitra Navratri 2022: इस बार घोड़े पर आ रही हैं माता, जानें इससे पड़ता है क्या असर, पूजा में क्या करें ये विशेष काम
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी,नई दिल्लीTue, 29 Mar 2022 04:01 PM

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नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्र का भी शुभारंभ 2 अप्रैल 2020 दिन शनिवार को हो जाएगा। चैत्र नवरात्र का महत्व इसी बात से स्पष्ट होता है कि इसी दिन परम पिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा पूजा पाठ यज्ञ हवन आदि के लिए श्रेष्ठ अवधि होता है। मां भगवती की पूजा उपासना के लिए भी यह समय श्रेष्ठ होता है, तभी तो चैत्र नवरात्र का आरंभ इसी दिन से हो जाता है । घरों में कलश स्थापना का प्राचीन परंपरा है । कलश स्थापना कब किया जाए , किस मुहूर्त में किया जाए इसका बड़ा महत्व है । इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को हो रहा है चढ़ती का व्रत 2 अप्रैल को किया जाएगा। प्रतिपदा से लेकर के नवमी पर्यंत माता भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाती है, पूजा की जाती है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सूर्योदय काल से लेकर के प्रतिपदा तिथि पर्यंत 12:28 तक श्रेष्ठ समय है।  यद्यपि पूरे दिन भर कलश स्थापना किया जा सकता है फिर भी प्रतिपदा तिथि में ही कलश स्थापना का विशेष विधान है। सूर्योदय से लेकर के दिन में 12:28 तक कलश स्थापना कर लिया जाए तो अति उत्तम होगा उसमें भी यदि शुभ चौघड़िया प्राप्त हो जाए तो और भी शुभ फल की वृद्धि हो जाती है। सुबह 7:30 से लेकर के 9:00 बजे तक और दोपहर में 12:00 बजे से लेकर के 12:28 तक शुभ चौघड़िया प्राप्त हो रही हैं जो कलश स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होगा।
प्रत्येक सनातन धर्म को मानने वाले लोग इस नवरात्र में मंगल ध्वज तोरण आज से अपने घर को सुसज्जित करते हैं ।चैत्र नवरात्रि में भगवती के साथ माता गौरी का भी दर्शन पूजन प्रतिदिन क्रमानुसार किया जाता है। महा अष्टमी का व्रत 9 अप्रैल दिन शनिवार को किया जाएगा। घर-घर में किया जाने वाला नवमी की पूजा भी 9 अप्रैल दिन शनिवार को ही किया जाएगा। महानवमी 10 अप्रैल दिन रविवार को होगा । नवरात्र से संबंधित हवन पूजन नवमी पर्यंत 10 अप्रैल को रात में 12:08 तक किया जाएगा। रामावतार का पर्व रामनवमी 10 अप्रैल दिन रविवार को सर्वत्र बड़े ही धूमधाम के साथ परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा । नवरात्र व्रत का पारण 11 अप्रैल दिन सोमवार को दशमी तिथि में प्राप्त किया जाएगा। देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र में माता के आगमन का विचार और गमन का विचार किया जाता है
 शशिसूर्ये गजरूढा शानिभौमे तुरंगमे।
 गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता ।।
इस प्रकार उपरोक्त के अनुसार इस नवरात्र में माता का आगमन घरों में घोड़े पर हो रहा है। जब भी नवरात्र में  माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता , तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । आम जनमानस के सुखों में कमी की अनुभूति होती है। इसलिए इस नवरात्र में माता का पूजन अर्चन क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है प्रत्येक दिन विधिवत पूजा के उपरांत क्षमा प्रार्थना किया जाना भी अति आवश्यक होगा लाभदायक होगा।

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