मकर, कुंभ, मीन, कर्क और वृश्चिक वालों को ये व्रत करने से मिलेगा लाभ
दस महाविद्याओं की आराधना के दिन article image 01 article image 11 22 जनवरी से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो गई हैं। यह 30 जनवरी तक हैं। माघ शुक्ल पक्ष से शुरू हुई गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं—मां काल

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22 जनवरी से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो गई हैं। यह 30 जनवरी तक हैं। माघ शुक्ल पक्ष से शुरू हुई गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं—मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, घूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करना जरूरी होता है। असल में मौसम में जब-जब परिवर्तन होता है, सेहत को लेकर परेशानी खड़ी होती है। इससे बचने के लिए नवरात्रि का विधान हमारे ऋषियों ने किया। नवरात्रि से शरीर निरोगी और आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त करता है। वृष, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न वालों को मातृशक्ति की आराधना करने से तत्काल लाभ होता है। जो लोग शनि की साढ़ेसाती— मकर, कुंभ और मीन एवं ढैय्या- कर्क और वृश्चिक से परेशान हैं, उन्हें गुप्त नवरात्रि में व्रत करने से लाभ होगा।चैत्र और शारदीय नवरात्रि तो जाग्रत नवरात्रि हैं, जिसे सनातन धर्म के अनुयायी बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इनमें गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ के महीने में आती हैं। त्रेतायुग में गुप्त नवरात्रि को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता था। आदिशक्ति के भक्त मुख्यत शाक्त संप्रदाय के माननेवाले और संन्यासी इसे गुप्त ही मनाते हैं।
गुप्त नवरात्रि की महिमा का गान ऋषि शृंगी ने किया है। वे एक बार जब अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे, तब एक महिला ने हाथ जोड़कर ऋषि से कहा, ‘मेरे पति अनीतिपूर्ण कार्यों में लिप्त हैं। इस कारण मैं व्रत-उपवास नहीं कर पाती हूं। मां दुर्गा की कृपा मुझ पर नहीं है। मुझे मां की कृपा प्राप्त हो इसके लिए मुझे उपाय बताएं।’ तब ऋषि ने कहा, ‘गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याएं हैं, उनकी प्रसन्नतापूर्वक उपासना-पूजा करो। निश्चित ही लाभ होगा। महिला ने गुप्त नवरात्रि का व्रत किया। माताएं उसकी निश्छल भक्ति से प्रसन्न हो गईं। इस व्रत को करने से उसका पति सुधर गया और उस पर मां की कृपा हो गई। प्राय तंत्र साधना वाले इन महाविद्याओं की आराधना करते हैं।
पूजा का नियम, विधि-विधान, जाग्रत नवरात्रों-सा ही है। पूरे नवरात्रि में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर मंत्र जाप करें। मंत्र में सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले गुप्त नवरात्रों का लाभ लें। हर दिन दुर्गा सप्तशती या देवी भागवत का पाठ करें। हर दिन संभव हो तो गणेश को मोदक, तिल के लड्डू, बेल, दूर्वा, शमी आदि अर्पित करें। कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा भी अवश्य करें। उल्लेखनीय है कि दस महाविद्याओं के साथ देवी भगवती ने असुरों चंड-मुंड और शुंभ-निशुंभ का वध किया था। उस समय देवी की यही दस महाविद्या युद्ध करती रहीं।
