Bhaumvati Amavasya 2021: ग्रह-नक्षत्रों के संयोग के कारण आज भौमवती अमावस्या का बढ़ रहा महत्व, इन 5 मुहूर्त में भूलकर भी ना करें पूजा-पाठ
सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। आज 11 मई दिन मंगलवार को अमावस्या है। मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगलवार को जब सूर्य-चंद्रमा...
सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। आज 11 मई दिन मंगलवार को अमावस्या है। मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगलवार को जब सूर्य-चंद्रमा एक ही राशि या पास वाली राशि में गोचर करते हैं तो भौमवती अमावस्या का योग बनता है। इस साल यह शुभ संयोग वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को बन रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितरों के लिए श्राद्ध व पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
भौमवती अमावस्या महत्व-
अमावस्या के दिन स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वैशाख माह में पड़ने वाली अमावस्या के दिन दान करने से इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने से हजार गायों के दान के बराबर का पुण्य मिलता है। हालांकि कोरोना काल में घर से बाहर न निकलें और घर पर पानी में ही गंगा जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
आज ग्रह-नक्षत्रों का शुभ संयोग-
आज सूर्य और चंद्रमा दोनों ही मेष राशि में विराजमान हैं। बुध, शुक्र और राहु वृषभ राशि में हैं। मंगल मिथुन राशि में हैं। केतु वृश्चिक राशि में हैं। मकर राशि में शनि हैं। कुंभ राशि में गुरु का गोचर चल रहा है। ग्रहों की स्थिति बहुत खराब है। चंद्रमा अमावस्या योग बनाकर सूर्य के साथ हैं। शुक्र और बुध राहु के साथ हैं। मंगल शत्रुक्षेत्री हैं।
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आज के अशुभ मुहूर्त-
राहुकाल- दोपहर 03 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक।
यमगंड- सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक।
गुलिक काल- दोपहर 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक।
दुर्मुहूर्त काल- सुबह 08 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 09 मिनट तक और इसके बाद मध्यरात्रि 11 बजकर 14 मिनट से 11 बजकर 56 मिनट तक।
वर्ज्य काल- सुबह 07 बजकर 16 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट तक।
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अमावस्या के दिन क्या करें और क्या नहीं-
भौमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करना उचित माना गया है। इस दिन सूर्योदय के बाद तक नहीं सोना चाहिए। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा होती है। घर के पितरों का तर्पण करना चाहिए और शुद्ध सात्विक भोजन बनाकर उन्हें भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने पितर तृप्त होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। अमावस्या के दिन अपनी सामर्थ्य के हिसाब से दान जरूर देना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए। मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।