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Bhai Dooj Katha Kahani 2021: यहां पढ़ें पूरी भाई दूज कथा कहानी

Bhai dooj katha , Bhai dooj kahani : आज भाई दूज पर महिलाएं अपने भाई को तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी। इस दिन भाई अपनी बहन के घर तिलक करवाने जाते हैं। भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हुए...

Bhai Dooj Katha Kahani 2021: यहां पढ़ें पूरी भाई दूज कथा कहानी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 06 Nov 2021 12:50 PM

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Bhai dooj katha , Bhai dooj kahani : आज भाई दूज पर महिलाएं अपने भाई को तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी। इस दिन भाई अपनी बहन के घर तिलक करवाने जाते हैं। भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हुए उन्हें तोहफा देते हैं। भाई दूज को मनाने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से नोत लिया था। भाइयों द्वारा बहनों को नोत लेने के बाद यथासंभव उपहार दिया जाता है और बहनों के हाथों से भोजन ग्रहण किया जाता है। आज सुबह सुबह 8 बजे से 9 के बीच शुभ चौघड़िया मुहूर्त में भाई को टीका करने का अच्छा समय होगा। दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच चर लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे। 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच भाई को टीका करने का शुभ मुहूर्त होगा।

यहां पढ़ें पूरी कथा
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

इस दौरान न करें टीका:
शनिवार को सुबह 9 से 10:30 बजे के बीच राहुकाल रहेगा, इसलिए इस समय में भाई को टीका न करें। राहुकाल के दौरान टीका नहीं किया जाता।

पूजन विधि ( Bhai Dooj Puja vidhi )
सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।

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