Bhai Dooj 2018: भाई दूज आज, बहनों के यहां भोजन करने से बढ़ती है उम्र
राजधानी सहित पूरे प्रदेश में कार्तिक शुक्ल द्वितिया शुक्रवार 9 नवंबर को भाई-बहनों का पवित्र पर्व भैयादूज -भातृद्वितिया मनायी जाएगी। मिथिलांचल वासियों में बहनों के घर जाकर नोत लेने और उसके घर भोजन...
राजधानी सहित पूरे प्रदेश में कार्तिक शुक्ल द्वितिया शुक्रवार 9 नवंबर को भाई-बहनों का पवित्र पर्व भैयादूज -भातृद्वितिया मनायी जाएगी। मिथिलांचल वासियों में बहनों के घर जाकर नोत लेने और उसके घर भोजन करने की परंपरा है। इस दिन बहनों के घर भोजन करने से भाइयों को अकालमृत्यु का भय नहीं रहता है। भातृद्वितिया की तिथि को बहनों के यहां भोजन करने का खास महत्व है। यम ने अपनी बहन यमुना से नोत लेने के बाद यह वरदान दिया कि इस दिन जो भाई, बहन के यहां भोजन करेगा व आशीर्वाद लेगा उसकी उम्र बढ़ेगी व बहनों का सुहाग अमर रहेगा। इस दिन यमुना में स्नान की परंपरा है।
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आज पूरे दिन द्वितिया तिथि रहेगी
ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान के ज्योतिषाचार्य डा. राजनाथ झा के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितिया शुक्रवार को लगभग पूरे दिन द्वितिया तिथि है। अनुराधा नक्षत्र और शोभन योग में भैयादूज मनायी जाएगी। कार्तिक मास में प्रात:स्नान का खास महत्व है। इसलिए प्रात:स्नान के बाद बहनें भाइयों के लिए गोधन कूटेंगी और उसके बाद पूजन होगा।
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भाई दूज मुहूर्त:
सुबह- 9:20 से 10:35 तक
दोपहर-1:20 से 3:15 तक
शाम-4:25 से 5:35 और 7:20 से रात 8:40 तक
भैयादूज की परंपराएं--
भैयादूज पर बहनों की गाली भी आशीर्वाद जैसी
मान्यता है कि भैयादूज के दिन बहनों की गाली भी भाइयों को आशीर्वाद की तरह लगती है। आचार्य पीके युग के अनुसार पहले तो बहनें भाइयों के लिए अमंगल की बात करती हैं। उन्हें मरने तक का श्राप देती हैं। पर बाद में अपनी जीभ पर रेंगनी का कांटा चुभोती हैं कि क्यों उन्होंने अपने भाई के लिए ऐसी बात कही।
भाइयों के लिए गोधन कूटती हैं बहनें
बहनें भाइयों के दीघार्यु की कामना के साथ गोधन कूटती हैं। गोबर के राक्षस की आकृति बनाकर पूजा करती हैं। फिर उसे डंडे से पीटती हैं।
मिथिलांचल की परंपराएं:-
मिथिलांचल के लोग मनाएंगे भातृद्वितीया
मिथिलांचल के लोग कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भातृद्वितीया मनाते हैं। इस मौके पर बहनों से भाइयों के नोत लेने की परंपरा है। बच्चे ही नहीं बल्कि बुजुर्ग और वृद्ध भी अपनी बहनों के यहां नोत लेने जरूर जाते हैं। नोत यानी बहनों का आशीर्वाद। इससे बहनों का सौभाग्य बढ़ता है। आचार्य विपेन्द्र झा माधव के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से नोत लिया था। इसलिए बहनें नोत लेने के समय कहती हैं ..यमुना नोतलन यम के हम नोतई छी अपन भाई के..जेना यमुना में पाइन बढ़े हमर भैया के अड़ुदा(आयु) बढ़े। भाइयों द्वारा बहनों को नोत लेने के बाद यथासंभव उपहार दिया जाता और बहनों के हाथों से भोजन ग्रहण किया जाता है। नोत लेने के दौरान एक बड़े से कठौत में पान, सुपारी, मखान,कोहरा के फूल,आदि से तीन बार भाइयों के हाथों पर रखकर मंत्र पढ़ा जाता है। बाद में कठौत से अंकुरी (बजरी) निकाल कर बहन भाई को खिलाती हैं।