इस एकादशी पर भगवान शिव के केश से प्रकट हुईं मां भद्रकाली, व्रत रखने से दूर हो जाते हैं हर कष्ट
ज्येष्ठ मास की एकादशी को भद्रकाली एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के बालों से मां भद्रकाली प्रकट हुईं। इस पावन दिन व्रत करने से जाने अनजाने में हुए सभी पाप दूर हो जाते हैं।
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ज्येष्ठ मास की एकादशी को भद्रकाली एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के बालों से मां भद्रकाली प्रकट हुईं। इस पावन दिन व्रत करने से जाने अनजाने में हुए सभी पाप दूर हो जाते हैं। भद्रकाली एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी नाम से भी जाना जाता है। उड़ीसा में इस दिन को जलक्रीड़ा एकादशी के रूप में मनाया जाता है। महाभारत के युद्ध से पहले अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर मां भद्रकाली की पूजा की थी, जिसके बाद उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
इस एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से कभी प्रेत बाधा परेशान नहीं करती। घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। इस व्रत में मन की सात्विकता का विशेष ध्यान रखें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। एकादशी की रात्रि में भगवान श्री हरि विष्णु का जागरण करें। सत्संग में समय व्यतीत करें। द्वादशी के दिन अन्न दान करें। इस व्रत के प्रभाव से जीवन में मान-सम्मान, धन, वैभव और आरोग्य की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन सुबह नित्यकर्म के बाद नए वस्त्र धारण कर पूजा करें। इस एकादशी को अपरा एकादशी, अचला एकादशी भी कहा जाता है। जब भद्रकाली जयंती के दिन मंगलवार और रेवती नक्षत्र आता है तो इसे और भी शुभ माना जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।