सक्सेस मंत्र : लोगों की नकारात्मक बातों को करें नजरअंदाज, मंजिल को पाने में होंगे सफल
हम सब में अपना लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमता होती है लेकिन हम कई बार बेवजह की बातों में उलझकर हिम्मत हार जाते हैं, और इसी वजह से अपने बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सपनों के साथ समझौता कर लेते हैं और...
हम सब में अपना लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमता होती है लेकिन हम कई बार बेवजह की बातों में उलझकर हिम्मत हार जाते हैं, और इसी वजह से अपने बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सपनों के साथ समझौता कर लेते हैं और उन्हें बिना पूरा किये ही जिंदगी गुजर देते हैं। यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसका नायक लोगों की नकारात्मकता को नजरअंदाज कर अपनी मंजिल पाने में सफल होता है।
एक बार एक सीधे पहाड़ पर चढ़ने की प्रतियोगिता हुई। बहुत लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। इस अनूठे आयोजन का गवाह बनने के लिए काफी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। हर तरफ शोर ही शोर था। सीधे पहाड़ को देखकर भीड़ में किसी भी आदमी को ये यकीन नहीं हो रहा था कि कोई भी व्यक्ति ऊपर तक पहुंच पाएगा।
प्रतियोगिता शुरू हुई और प्रतियोगियों ने अपने साजो सामान के साथ चढ़ाई शुरू की। प्रतियोगियों ने चढ़ना शुरू किया। प्रतियोगी अपनी कोशिश कर रहे थे मगर हर तरफ यही सुनाई देता, अरे ये बहुत कठिन है। ये लोग कभी भी सीधे पहाड़ पर नहीं चढ़ पाएंगे, सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं। कोई कहता, इतने सीधे पहाड़ पर तो चढ़ा ही नहीं जा सकता।
हैरत की बात यह थी कि यही हो भी रहा था, जो भी आदमी कोशिश करता वो थोड़ा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता। कई लोग दो-तीन बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगे हुए थे। भीड़ अब भी चिल्लाए जा रही थी, ये असंभव है। भीड़ से ऐसे शब्द सुनकर उत्साहित प्रतियोगी भी हताश हो गए और एक-एक कर अपना प्रयास छोड़ने लगे।
लेकिन उन्हीं लोगों के बीच एक प्रतियोगी था, जो बार-बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ ऊपर पहाड़ पर चढ़ने में लगा हुआ था। वो लगातार ऊपर की ओर बढ़ता और फिर गिर जाता। कई बार गिरने के बावजूद वह हताश या निराश नहीं होता और गिरने के बाद दोबारा उसी उत्साह से फिर चढ़ने लगता। ऐसा करते-करते अंततः वह सीधे पहाड़ के ऊपर पहुंच गया और इस प्रतियोगिता का विजेता बना। उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ, सभी लोग उसे घेर कर खड़े हो गए और उससे इस दुर्लभ सफलता का राज पूछने लगे। लोग उससे पूछ रहे थे, मगर वह मौन खड़ा था। तभी पीछे से एक आवाज आई, अरे उससे क्या पूछते हो, वो तो बहरा है।
दुनिया में हमें हर कदम पर नकारात्मक बातें करने वाले लोग मिलते हैं। कुछ लोग इनकी बातों में फंस कर खुद भी नकारात्मकता में घिर जाते हैं। मगर जो अपने कान बंद कर उनकी नकारात्मक बातों को अनसुना कर देते हैं, वे सफलता का स्वाद चखने में सफल होते हैं। ऐसे लोगों के लिए ‘मैं बहरा था, बहरा हूं और बहरा रहूंगा’।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है
- हमें कमजोर बनाने वाली बातों को अनसुना कर देना चाहिए। उसके प्रति बहरे हो जाए तथा हर उस दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं जो हमें सफलता के शिखर तक पहुंचने से रोकते हैं।
- अपने अंदर विश्वास होना चाहिए और अपने प्रयास कभी छोड़ने नहीं चाहिए। असफलता का मतलब दुनिया का अंत नहीं है, बल्कि यह तो सफलता की ओर बढ़ाया गया आपका कदम है।
- जीवन में कभी यह सोचकर निराश नहीं होना चाहिए कि हमारे पास क्या नहीं। इसके विपरीत हमें उन चीजों के लिए शुक्रमंद होना चाहिए जो हमारे पास हैं, क्योंकि दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके वो भी नहीं होगा।