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बकरीद 2018: अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी

त्याग और बलिदान के पर्व बकरीद को लेकर राजधानी लखनऊ समेत समूचे उत्तर प्रदेश में तैयारियां चरम पर हैं। इस बार यह त्योहार 22 अगस्त को मनाया जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने ज़िल-हिज्जा की...

 बकरीद 2018: अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी
लखनऊ, एजेंसीSun, 19 Aug 2018 09:44 PM
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त्याग और बलिदान के पर्व बकरीद को लेकर राजधानी लखनऊ समेत समूचे उत्तर प्रदेश में तैयारियां चरम पर हैं। इस बार यह त्योहार 22 अगस्त को मनाया जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने ज़िल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्म  होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है। विश्व में इस त्योहार को ईद-अल-अज़हा और भारतीय उपमहाद्वीप में इस त्योहार को बकरीद के नाम से जाना जाता है। गैर मुस्लिम समुदाय के बीच बकरीद में कुबार्नी चचार् का विषय बना रहता है जबकि इस्लाम में अल्लाह की राह में कुबार्नी का खास महत्व है। बकरीद के अवसर पर इस्लामी कानून के अनुसार हलाल चौपाय जानवरों की कुबार्नी दी जाती है।
       
बकरीद के अवसर पर दी जाने वाली कुबार्नी को सुन्नते इबराहीमा भी कहते हैं। हजरत इब्राहिम पैगम्बर थे। एक मान्यता के अनुसार अल्लाह ने उनके सपने में आकर आदेश दिया कि वे अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुबार्नी दें। उन्होने अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए अपनी आंखों में पट्टी बांधकर अपने बेटे की गर्दन पर छुरी चलायी और आंख खोलकर देखा तो पाया कि उनके बेटे के स्थान पर एक भेड़ कटी हुई है। इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुबार्नी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया। कुबार्नी के बाद बकरे के गोश्त को चार हिस्सों में बांटा जाता है जिसके तीन हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिये निकाल दिया जाता है जबकि चौथे हिस्से का इस्तेमाल परिवार और रिश्तेदारों के भोजन के लिये किया जाता है। 

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