सावन 2017: बाबा भोलेनाथ से चाहिए सुख-संपत्ति तोे करें ये उपाय
बाबा भोलेनाथ बड़ी ही आसानी से भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। सावन में शिव पूजन का महत्व विशेष होता है। हम आपको यहां बता रहे हैं औघड़दानी के पूजन की कुछ आसान विधियां जिनसे आप भगवान शंकर को...
सावन 2017: बाबा भोलेनाथ से चाहिए सुख-संपत्ति तोे करें ये उपाय
बाबा भोलेनाथ बड़ी ही आसानी से भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। सावन में शिव पूजन का महत्व विशेष होता है। हम आपको यहां बता रहे हैं औघड़दानी के पूजन की कुछ आसान विधियां जिनसे आप भगवान शंकर को प्रसन्न कर सकते हैं। ये सभी राजसी पूजा कहलाती है। साथ ही ये समस्त पूजन शिव के मन्त्रों के साथ अर्पण करने चाहिए और कम से कम 11 दिन पूजन करने चाहिए। वैसे शिव का अभिषेक तो जलधारा से ही होता है किन्तु पूजन उपरांत ये पुष्प अर्पण करना विशेष लाभकारी होता है।
लक्ष्मी प्राप्तिः कमलपुष्प ,विल्वपत्र और शंखपुष्प से पूजा करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति अवश्य होती है ।
दीर्घायुः एक लाख दूर्वा शिव को अर्पण करने से लंबी आयु मिलती है ।
पुत्र प्राप्तिः धतूरे के पुष्प -जो लाल डंठल वाले हों एक लाख अर्पण करने से संतान का सुख जरूर मिलता है ।
यश प्राप्ति हेतुः स्वेतार्क {आखा }या अगस्त्य के फूलों से जिसकी संख्या एकलाख हो निवेदन करने से यश की प्राप्ति अवश्य होती है ।
भोग प्राप्तिः शिव को 1100 तुलसीदल अर्पण करने से भोग एवं मोक्ष अवश्य मिलता है ।
बेला के 511 पुष्प अर्पण करने से मिलेगा पत्नी सुख
मोक्ष प्राप्तिः सफेद आखें {स्वेतार्क }अपामार्ग एवं स्वेत कमल के एकलाख पुष्पों को शिव पर चढाने से भी भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
वाहन सुखः शिव को 1100 चमेली पुष्प अर्पण करने से सम्पत्ति एवं वाहन सुख जरूर मिलता है ।
पत्नी सुखः दाम्पत्य सुख के लिए बेला के 511 पुष्प अर्पण शिव को करने से विवाह एवं दाम्पत्य जीवन उत्तम रहता है ।
भण्डार सुखः जूही के 335 पुष्पों से शिव का पूजन करने से घर में अन्न की कमी नहीं होती है ।
वस्त्र सुखः कनेर के 735 पुष्पों से शिव की आराधना करने से -अंनत प्रकारके वस्त्र सुख मिलता है ।
शान्ति सुखः शेफालिका या सेदुआरि के -111 फूलों को शिव पर चढाने से मन सदा शांत बना रहता है ।
सुख सम्पत्तिः सुख और सम्पत्ति की प्राप्ति हेतु हर श्रृंगार के 921 पुष्प अर्पण करने से -संपत्ति की प्राप्ति जरूर होती है ।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)