मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से शिव कहलाए अर्द्धनारीश्वर
जगत के कल्याण के लिए मां दुर्गा नौ रूपों में प्रकट हुईं। इन रूपों में अंतिम रूप है मां सिद्धिदात्री का। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।...
जगत के कल्याण के लिए मां दुर्गा नौ रूपों में प्रकट हुईं। इन रूपों में अंतिम रूप है मां सिद्धिदात्री का। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। ब्रह्मांड को रचने के लिए भगवान शिव को शक्ति प्रदान करने के कारण मां भगवती का नाम सिद्धिदात्री पड़ा। मां की स्तुति से अंतरआत्मा पवित्र होती है।
मां की अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ। इसी कारण भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर कहलाए। मां सिद्धिदात्री का स्वरूप मां सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है। नवमी को मां की पूजा के बाद कन्याओं को भोजन कराया जाता है और इसके साथ ही मां को विदाई दी जाती है। मां के अंतिम स्वरूप की आराधना के साथ ही नवरात्र के अनुष्ठान का समापन हो जाता है। मां सिद्धिदात्री की पूजा में हल्के बैंगनी रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। यह दिन चंद्रमा से संबंधित पूजा के लिए सर्वोत्तम है। इस दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु का भय दूर होता है और दुर्घटनाओं से भी बचाव होता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ऐसी कोई कामना शेष नहीं बचती, जिसे पूर्ण करने की इच्छा रहे।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।