सभी गुणों से परिपूर्ण हैं श्री हरि इसलिए अनंत स्वरूप में किया जाता है पूजन
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत का विशेष महत्व है। इस पर्व को अनंत चौदस नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रद्धा के साथ पूजा करने से भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न होकर भक्तों क
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भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत का विशेष महत्व है। इस पर्व को अनंत चौदस नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रद्धा के साथ पूजा करने से भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न होकर भक्तों के सारे दुख दूर कर देते हैं। इस दिन को भगवान श्री हरि विष्णु के दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भगवान श्री हरि विष्णु 14 अवतारों के रूप में इस नश्वर संसार में आए, जिसने उन्हें अनंत होने का नाम दिया। इस दिन व्रत का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इस दिन उपवास कर श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत के प्रभाव से जीवन में धन, समृद्धि प्राप्त होती है। यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु के अनंत रूपों की याद दिलाता है। अनंत देव भगवान श्री हरि विष्णु का प्रतीक माने जाते हैं। भगवान को अनंत इसलिए कहा गया है क्योंकि उनका न तो कोई आदि है और न अंत। भगवान को सभी गुणों से युक्त और परिपूर्ण माना गया है। इसलिए अनंत स्वरूप में उनका मंगलकारी पूजन किया जाता है। पुराणों में वर्णित है कि अगर 14 वर्ष तक लगातार इस व्रत को किया जाए तो विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। भगवान सत्यनारायण के समान ही अनंत देव भी भगवान श्री हरि विष्णु का ही एक नाम है। यही कारण है कि इस दिन सत्यनारायण कथा का आयोजन किया जाता है। भगवान सत्यनारायण की कथा के साथ अनंत देव की कथा भी सुनी जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र हाथों में बांधने से सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसी दिन गणपति महोत्सव का समापन होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।