अनंत शुभ फल प्रदान करता है यह पावन व्रत
भगवान सत्यनारायण के समान अनंत देव भी भगवान विष्णु का ही एक नाम है। भाद्रपद मास में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनंत भगवान की पूजा करने का विधान है। जब पांडव जुए में...
भगवान सत्यनारायण के समान अनंत देव भी भगवान विष्णु का ही एक नाम है। भाद्रपद मास में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनंत भगवान की पूजा करने का विधान है। जब पांडव जुए में अपना सारा राज हार गए और वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें इस व्रत को रखने की सलाह दी थी। सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के दिन भी इस व्रत के प्रभाव से बहुरे थे।
इस व्रत के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा सुख-शांति की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी की पूजा में अनंत सूत्र का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस अनंत सूत्र को बांधने से प्रत्येक कष्ट दूर हो जाते हैं। अनंत सूत्र रक्षा कवच की तरह काम करता है। इस दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है, इस कारण इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। माना जाता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान गणपति पुनः कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं। अनंत चतुर्दशी पर भगवान श्री गणेश का आह्वान कर उनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। इस दिन लोग घरों में सत्यनारायण की कथा भी आयोजित कराते हैं। इस व्रत के प्रभाव से दरिद्रता का नाश होता है। दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य की समस्याओं से रक्षा होती है। इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। इस व्रत में किसी पवित्र नदी के तट पर श्री हरि की कथा सुननी चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।