Anant Chaturdashi 2022 : श्रीकृष्ण ने पांडवों को दिया था अनंत चतुर्दशी व्रत करने का सुझाव, इस व्रत से दूर हो जाते हैं हर संकट
इस व्रत में एक समय मुख्य रूप से सिमई युक्त, बिना नमक का भोजन किया जाता है। निराहार रहें, तो श्रेष्ठ है। इसी दिन प्रथम पूज्य गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन भी गणेश भक्तों द्वारा किया जाता है।
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Anant Chaturdashi 2022 : भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी व्रत मनाया जाता है। इस बार यह 9 सितंबर को है। अनंत यानी जिसके न आदि का पता है और न ही अंत का। अर्थात वे स्वयं श्री हरि ही हैं। इस व्रत में स्नानादि करने के बाद अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के सूत से बने और हल्दी से रंगे हुए चौदह गांठ के अनंत को सामने रखकर हवन किया जाता है। फिर अनंत देव का ध्यान करके इस शुद्ध अनंत, जिसकी पूजा की गई होती है, को पुरुष दाहिनी और स्त्री बायीं भुजा या हाथ में बांधते हैं।
इस व्रत में एक समय मुख्य रूप से सिमई युक्त, बिना नमक का भोजन किया जाता है। निराहार रहें, तो श्रेष्ठ है। इसी दिन प्रथम पूज्य गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन भी गणेश भक्तों द्वारा किया जाता है।
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अनंत चतुर्दशी व्रत के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए आचार्य संजय पाठक ने बताया कि पुराणों में अनंत चतुर्दशी की कथा के युधिष्ठिर से सम्बंधित होने का उल्लेख मिलता है। पांडवों के राज्यहीन हो जाने पर श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का सुझाव दिया। इससे पांडवों को हर हाल में राज्य वापस मिलेगा, इसका भी भरोसा दिया। युधिष्ठिर ने जब पूछा- यह अनंत कौन हैं? तब श्रीकृष्ण ने कहा कि श्रीहरि के ही स्वरूप हैं। इस व्रत को विधि विधान से करने से जीवन में आ रहे समस्त संकट समाप्त होंगे।