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अहोई अष्टमी 2018: आज राधाकुंड में स्नान का है विशेष महत्व, जानें

संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत आज मनाया जा रहा है। इस दिन ब्रज में मौजूद राधाकुंड में स्नान की अलग महिमा है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से निसंतान...

अहोई अष्टमी 2018: आज राधाकुंड में स्नान का है विशेष महत्व, जानें
लाइव हिन्‍दुस्‍तान टीम,नई दिल्लीWed, 31 Oct 2018 08:13 AM
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संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत आज मनाया जा रहा है। इस दिन ब्रज में मौजूद राधाकुंड में स्नान की अलग महिमा है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से निसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है। कार्तिक मास की अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने वाली सुहागिनों को संतान की प्राप्ति होती है। इसके चलते यहां आज रात (सप्तमी की अर्ध रात्रि) से स्नान किया जाएगा। मान्यता है कि कार्तिक मास की अष्टमी को वे दंपति जिन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई है वे निर्जला व्रत रखते हैं और सप्तमी की रात्रि को पुष्य नक्षत्र में रात्रि 12 बजे से राधा कुंड में स्नान करते हैं। इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर रखती हैं और राधा की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

मान्यता है कि आज भी पुण्य नक्षत्र में राधा जी और कृष्ण रात्रि 12 बजे तक राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं। इसके बाद पुण्य नक्षत्र शुरू होते ही वहां स्नान कर भक्ति करने वालों को दोनों आशीर्वाद देते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता है कि राधा जी ने उक्त कुंड को अपने कंगन से खोदा था इसलिए इसे कंगन कुंड भी कहा जाता है।

श्रीकृष्ण ने राधा जी को दिया था वरदान

कथा के अनुसार श्रीकृष्ण गोवर्धन में गौचारण लीला करते थे। इसी दौरान अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप धरके श्रीकृष्ण पर हमला किया। इस पर श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। तब राधारानी ने श्रीकृष्ण को बताया कि उन्होंने अरिष्टासुर का वध तब किया जब वह गौवंश के रूप में था इसलिए उन्हें गौवंश हत्या का पाप लगा है। इस पाप से मुक्ति के उपाय के रूप में श्रीकृष्ण अपनी बांसुरी से एक कुंड (श्याम कुंड) खोदा और उसमें स्नान किया। इस पर राधा जी ने श्याम कुंड के बगल में अपने कंगन से एक और कुंड (राधा कुंड) खोदा और उसमें स्नान किया। 

इसके बाद राधा जी से कृष्ण ने वरदान मांगने को कहा। इस पर राधा जी ने कहा कि हम अभी गौवंश वध के पाप से मुक्त हुए हैं। वे चाहती हैं कि जो भी इस तिथि में राधा कुंड में स्नान करे उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो। इस पर श्री कृष्ण ने राधा जी को यह वरदान दे दिया। इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड में मिलता है। उल्लेख है कि महारास वाले दिन कार्तिक मास की अष्टमी (अहोई अष्टमी) थी। तभी से इस विशेष तिथि पर पुत्र प्राप्ति को लेकर दंपति राधाकुंड में स्नान कर राधा जी से आशीर्वाद मांगते हैं।

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