Dev Uthani Ekadashi: तुलसी विवाह के दौरान ध्यान रखें ये बातें
Dev Uthani Ekadashi: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के चार महीने बाद इसी दिन अपनी निंद्रा तोड़कर जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 19...
Dev Uthani Ekadashi: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के चार महीने बाद इसी दिन अपनी निंद्रा तोड़कर जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 19 नवंबर को मनाई जा रही है। इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी विवाह भी कराया जाता है। मान्यता है कि इससे दांपत्य जीवन में प्रेम और अटूटता आती है। तुलसी विवाह के दौरान इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
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देवउठनी एकादशी पर होती है तुलसी-शालिग्राम की पूजा, जानिए महत्व
1. विवाह के समय तुलसी के पौधे को आंगन, छत या पूजास्थल के बीचोंबीच रखें।
2. तुलसी का मंडप सजाने के लिए गन्ने का प्रयोग करें।
3. विवाह के रिवाज शुरू करने से पहले तुलसी के पौधे पर चुनरी जरूर चढ़ाएं।
4. गमले में शालिग्राम रखकर चावल की जगह तिल चढ़ाएं।
5. तुलसी और शालिग्राम पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।
6. अगर विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आपको आता है तो वह अवश्य बोलें।
7. विवाह के दौरान 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
8. प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें और उसका वितरण करें।
9. पूजा खत्म होने पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें- उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।
10. इस लोक आह्वान का भावार्थ है - हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।
ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है