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Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर काटे गए डंठल वाले खीरे का क्या करें?

Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर काटे गए डंठल वाले खीरे का क्या करें?

संक्षेप: Kheera Rituals on Janmashtami: जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे के साथ ही श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने की पुरानी परंपरा है। अब ऐसे जो लोग पहली बार जन्माष्टमी मनाते हैं उन्हें इस परंपरा को लेकर कई कन्फ्यूजन होते हैं। जानते हैं कि आखिर खीरे को काटने के बाद उसका क्या करना है?

Sat, 16 Aug 2025 01:55 PMGarima Singh लाइव हिन्दुस्तान
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द्वापर युग और श्री कृष्ण का गहरा नाता है। इस युग में श्री कृष्ण ने भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था। उनका जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। जन्म का समय आधी रात था। सनातन धर्म में आज के दिन का खास महत्व होता है। देश-विदेश के कृष्ण मंदिरों की रौनक आज देखते ही बनती है। वहीं घरों में भी लोग परंपरा के तौर पर जन्माष्टमी की रात को श्री कृष्ण का जन्म करवाते हैं। इस दौरान विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। साथ ही डंठल वाले खीरे से ही लड्डू गोपाल का जन्म करवाया जाता है। अब ऐसे में एक सवाल ये बहुत कॉमन हो जाता है कि आखिर खीरे को काटने के बाद उसका किया क्या जाए? नीचे समझते है सारी चीजें विस्तार से...

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ऐसे करवाते हैं श्री कृष्ण का जन्म

जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त के दौरान श्री कृष्ण का जन्म डंठल वाले खीरे से करवाया जाता है। मान्यता के अनुसार खीरे के डंठल को गर्भनाल माना जाता है और इसे सिक्के से काटकर ही श्री कृष्ण का जन्म करवाया जाता है। यहां पर ये बात ध्यान रखने वाली है कि शुभ मुहूर्त के दौरान ही डंठल को खीरे से अलग किया जाए। बता दें कि आज जन्माष्टमी के लिए शुभ मुहूर्त रात 12:04 से लेकर 12:47 बजे तक है। खीरे का काटने के बाद श्री कृष्ण की आरती के साथ उन्हें पंचामृत से स्नान करवाया जाता है। इसके बाद श्री कृष्ण के 108 नाम का उच्चारण करना काफी शुभ होता है। पूजा करने के बाद भगवान का आशीर्वाद लेकर भोग प्रसाद को ग्रहण करना चाहिए।

काटने के बाद खीरे का क्या करें?

जन्माष्टमी पर खीरे को काटने के बाद उसे भोग प्रसाद में ही काटकर मिला देना चाहिए। ज्यादातर लोग पंजीरी के ऊपर बाकी फलों के साथ खीरे को भी काटकर रखते हैं। इस प्रसाद को खुद ग्रहण करें और आसपास के लोगों में भी बांटें। आप चाहे तो जन्माष्टमी वाले खीरे को पास के किसी मंदिर के पंडित को भी दान स्वरूप दे सकते हैं।

Garima Singh

लेखक के बारे में

Garima Singh
गरिमा सिंह हिंदुस्तान लाइव में ज्योतिष सेक्शन में काम करती हैं। उन्हें पत्रकारिता में 10 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह एंटरटेनमेंट बीट पर भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन और जामिया मिलिया इस्लामिया से टेलीविजन और रेडियो पत्रकारिता की पढ़ाई की है। और पढ़ें

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