इसलिए शनिदेव हैं नवग्रह में सबसे महत्वपूर्ण
शनिदेव न्यायाधीश हैं। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के हिसाब से दंड देते हैं। धर्म के मार्ग पर चलने वाले शनिदेव को प्रिय होते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान सूर्यदेव का विवाह राजा दक्ष की...
शनिदेव न्यायाधीश हैं। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के हिसाब से दंड देते हैं। धर्म के मार्ग पर चलने वाले शनिदेव को प्रिय होते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान सूर्यदेव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। सूर्यदेव को संज्ञा से तीन पुत्रों की प्राप्ति हुई। सूर्यदेव ने उनका नाम यम, यमुना और मनु रखा। संज्ञा शनिदेव के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्यदेव के पास छोड़ दिया और वहां से चली गईं।
कुछ समय बाद सूर्यदेव से छाया को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिन्हें शनिदेव नाम से जाना गया। जब शनिदेव का जन्म हुआ, तब उनका रंग बहुत काला था। उन्हें देखकर पिता सूर्यदेव ने अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया। जब शनिदेव बड़े हुए तब सूर्यदेव की कठोरता के कारण उनके मन में पिता के लिए क्रोध बढ़ने लगा।
शनिदेव ने सूर्यदेव से भी अधिक तेजस्वी बनने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। भगवान शिव, शनिदेव के तप से प्रसन्न हुए और वरदान स्वरूप उन्हें न्यायाधीश का पद प्रदान किया। साथ ही सूर्य से भी अधिक तेजस्वी और शक्तिशाली होने का वरदान दिया। तभी से शनि का स्थान सभी नौ ग्रहों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।