ओणम पर अपनी प्रजा को देखने आते हैं राजा महाबली
ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार पर घरों को फूलों से सजाया जाता है। पुरूष नौका दौड़ समेत कई प्रतियोगिताओं में शामिल होते हैं। महिलाएं रंगोली सजाती हैं। भगवान विष्णु तथा राजा महाबलि की...
ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार पर घरों को फूलों से सजाया जाता है। पुरूष नौका दौड़ समेत कई प्रतियोगिताओं में शामिल होते हैं। महिलाएं रंगोली सजाती हैं। भगवान विष्णु तथा राजा महाबलि की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन क्रिया जाता है। मंदिरों में उत्सव होते हैं। ओणम के अवसर पर नौका दौड़ तथा हाथियों के जुलूस विशेष रूप से आयोजित किए जाते हैं।
कहा जाता है कि इस दिन राजा महाबली लोगों को आशीर्वाद देने पाताल लोक से आते हैं। ओणम राजा महाबली के सम्मान में मनाया जाता है। इस त्योहार के पीछे पौराणिक कथा है कि महाबलि नामक राजा केरल में राज्य करते थे। वह आदर्श राजा थे। उनके राज में प्रजा सुखी थी। वह न्यायप्रिय थे। राज्य में हर जगह सुख और समृद्धि थी। महाबलि बहुत दानी थे। प्रजा उन्हें भगवान मानती थी।
राजा महाबली ने देवताओं के विरूद्ध युद्ध छेड़ दिया और परलोक पर कब्जा कर लिया। उन्होंने राजा इंद्र को पराजित किया और तीनों लोक के शासक बन गए। देवताओं ने परलोक वापस पाने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि के पास आए। उन्होंने तपस्या करने के लिए राजा महाबली से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने बिना कुछ सोचे-समझे ब्राह्मण को तीन पग भूमि दान लेने की अनुमति दी।
भगवान विष्णु ने विराट रूप धारण कर लिया और एक पग में भू-लोक, दूसरे में स्वर्ग-लोक नाप लिया। तीसरे पग के लिए भूमि कम पड़ गई। राजा महाबलि ने तीसरा पग नापने के लिए अपना सिर भगवान विष्णु के सम्मुख कर दिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक में रहने की आज्ञा दी। उन्होंने राजा बलि को वर मांगने की अनुमति दी। राजा बलि ने वरदान मांगा कि उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा के सुख-दुख को देखने का अवसर दिया जाए।
महाबलि की प्रार्थना भगवान विष्णु ने स्वीकार कर ली। कहा जाता है कि हर वर्ष श्रवण नक्षत्र में राजा बली अपनी प्रजा को देखने आते हैं। श्रवण नक्षत्र को मलयालम में ओणम नक्षत्र कहा जाता है। इस दिन यहां की प्रजा बहुत श्रद्धा से अपने प्रिय राजा की प्रतीक्षा करती है। सुख और समृद्धि का ऐसा वातावरण प्रस्तुत किया जाता है जिससे राजा महाबलि को यह प्रमाण मिले कि यहां प्रजा सुखी और प्रसन्न है।