सोम प्रदोष व्रत पर शाम को इस सरल विधि से करें शिव पूजन,नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजाविधि,मंत्र, भोग और आरती
- Som Pradosh Vrat 2025: पंचांग के अनुसार, 27 जनवरी 2025 को सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और खुशहाल जीवन के लिए प्रदोष व्रत रखनाऔर शिवजी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।

Som Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में शिवजी को की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है और भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा-आराधना की जाती है। प्रदोष व्रत के दिन शिव परिवार की पूजा का बड़ा महत्व है। प्रदोष व्रत में शाम के शिव-गौरी की पूजा की जाती है और सुख-सौभाग्य की कामना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जनवरी माह का दूसरा प्रदोष व्रत 27 जनवरी दिन सोमवार को पड़ रहा है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष कहा जाएगा। संतान और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत के दिन व्रत और पूजन बेहद शुभ माने जाते हैं। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत की सरल पूजाविधि, सुभ मुहूर्त,मंत्र, भोग और आरती...
सोम प्रदोष व्रत कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 26 जनवरी 2025 को रात 08 बजकर 54 मिनट पर होगा और अगले दिन 27 जनवरी 2025 को रात 08 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 27 जनवरी दिन सोमवार को प्रदोष व्रत रख जाएगा।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त : प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय प्रदोष काल में शिव पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन शाम 05 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 34 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त है।
पूजाविधि :
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। शिवजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। अब पूरा दिन फलाहार व्रत रखें। घर के मंदिर में दीपक प्रज्ज्वलित करें और शिव-गौरी की आरती उतारें। शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। संभव हो, तो शाम के समय स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें। प्रदोष काल पूजा की तैयारी करें। एक थाली में सभी पूजा सामग्री एकत्रित करें। शिवालय या घर पर ही विराजमान शिवलिंग की पूजा आरंभ करें। शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर आक के फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, शहद नैवेद्य अर्पित करें। अब शिवलिंग को धूप-दीप दिखाएं। शिवजी के बीज मंत्रों का जाप करें। सोम प्रदोष व्रत का पाठ करें। शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में शिव-गौरी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। पूजा में जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और शिव-पार्वती का आशीर्वाद लीजिए।
मंत्र- प्रदोष व्रत के दिन शिवजी को प्रसन्न करने के कुछ सरल मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
1.ऊँ नमः शिवाय
2.ऊँ शिवाय नमः
3. ऊँ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।
4.ऊँ नमो धनदाय स्वाहा
5.ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः
भोग : सोम प्रदोष के दिन शिवजी को दही और घी का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा मालपुआ का भोग लगा सकते हैं।
शिवजी की आरती :
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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