इस दिन धरा पर प्रकट हुईं माता सीता, व्रत रखने से मिलता है समस्त तीर्थों के दर्शन का फल
भगवान श्रीराम स्वयं श्री हरि विष्णु हैं तो माता सीता मां लक्ष्मी का स्वरूप हैं। वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इसी दिन माता सीता का प्राकट्य
भगवान श्रीराम स्वयं श्री हरि विष्णु हैं तो माता सीता मां लक्ष्मी का स्वरूप हैं। वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इसी दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था। इस सौभाग्यशाली दिन जो भी माता सीता और प्रभु श्री राम की उपासना करता है उस पर भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस दिन व्रत रखने से 16 महान दान के समान फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है। माता जानकी का पूजन-अर्चन करने से सभी प्रकार के सुख-सौभाग्य प्राप्त होते हैं। इस दिन जानकी स्तोत्र, श्रीरामचरित मानस का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। माता सीता और भगवान राम की उपासना करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। माता सीता को सीता नवमी के दिन शृंगार की सामग्री अर्पित करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं। इस दिन श्रीरामचरित मानस और सुंदरकांड का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी है। इस दिन भगवान श्रीराम के मंदिर में जाकर केसरिया ध्वज लगाएं। माता सीता और भगवान राम को पीले वस्त्र, पीले फूलों की माला और पीले चावल का भोग अर्पित करें। इस दिन माता जानकी की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठें तथा तन-मन से पवित्र होने के पश्चात अपने घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर माता जानकी एवं प्रभु श्री राम का चित्र लगाएं। सियाराम को फल, फूल, चंदन आदि अर्पित करें। शुद्ध घी का दीया जलाएं। सीता नवमी के दिन माता जानकी की पूजा में लाल रंग के फूल और शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्था एवं लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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