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भगवान शिव को प्रिय है यह व्रत, स्मरण करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं भोले भंडारी 

त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया जाता है। सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत आता है, उसी के नाम पर प्रदोष व्रत का नाम रखा जाता है। सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत किय

भगवान शिव को प्रिय है यह व्रत, स्मरण करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं भोले भंडारी 
Arpanलाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutSun, 20 Nov 2022 12:28 PM

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त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया जाता है। सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत आता है, उसी के नाम पर प्रदोष व्रत का नाम रखा जाता है। सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत किया जाता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनकी आराधना करते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोम प्रदोष व्रत किया जाता है।

यह व्रत भगवान शिव को अति प्रिय है। मान्यता है कि इस शुभ दिन सच्चे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है। इस शुभ दिन पर कुछ उपाय करने से निसंतान को संतान प्राप्ति, नौकरी, कारोबार से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।  
प्रदोष व्रत में सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन हल्के लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करें। चांदी या तांबे के लोटे से शुद्ध शहद एक धारा के साथ शिवलिंग पर अर्पित करें। घर के पास किसी शिव मंदिर में जाएं और वहां जाकर शुद्ध जल में दूध और गंगाजल डालकर शिवलिंग पर अर्पित करें। ‘ऊँ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए शिवलिंग पर धतूरा अर्पित करें। दूध में थोड़ा-सा केसर और कुछ फूल डालकर शिवलिंग पर अर्पित करें। जौ का आटा लेकर भगवान शिव के चरणों में स्पर्श कर, जौ के आटे की रोटियां बना लें और बछड़े या बैल को खिला दें। बेल पत्र से भगवान शिव का पूजन करें। इस शुभ दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध में गुड़ मिलाकर अभिषेक करने से आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। जो लोग किसी बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें इस शुभ दिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इससे सेहत में सुधार होने के साथ जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। इससे कुंडली में चंद्रमा से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं। शिव तांडव स्तोत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहें और एक समय फलाहार कर सकते हैं। शाम को शिव परिवार की पूजा करें। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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