इस पावन तिथि से जुड़ी हैं कई धार्मिक मान्यताएं
अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। यह दिन सभी के जीवन में सौभाग्य और सफलता लाता है। अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमे
अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। यह दिन सभी के जीवन में सौभाग्य और सफलता लाता है। अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। इस दिन से कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में।
भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है। इस तिथि में किए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है। इस तिथि को सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है। कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना कर दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन जितना दान करते हैं उससे कई गुना आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है। इस दिन जौ दान करने से स्वर्ण दान के समान फल प्राप्त होता है। अक्षय तृतीया को ही वृंदावन में श्री बिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं। महाभारत काल में इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय चीर प्रदान किया था। अक्षय तृतीया पर ही युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इसी दिन सुदामा अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने गए थे। इस दिन को देवी अन्नपूर्णा का जन्मदिन मनाया जाता है। इसी दिन से भगवान जगन्नाथ का रथ निर्माण कार्य शुरू होता है। इस दिन ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षयकुमार का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना आरंभ किया था। इस दिन घर में कुछ न कुछ खरीदकर अवश्य लाएं। घर के हर कोने को रोशन करें। अक्षय तृतीया को बच्चों की पुस्तकें खरीद कर लाएं या फिर ज्ञान वृद्धि से जुड़ी चीज़ों को घर में स्थापित करें।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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