
Akhand jyot Niyam: अखंड ज्योत जला रहे हैं, तो घर बंद ना करें, जानें अखंड ज्योत , नवरात्रि पूजा के नियम
संक्षेप: Akhand jyot Niyam: नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की अराधना की जाती है। इस दिन कलश स्थापना से नवरात्र की शुरुआत होती है। कलश स्थापना के साथ मां की अखंड ज्योत और देवी की मूर्ति या चित्र को स्नान करवाकर नए वस्त्र धारण करवाएं।
नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की अराधना की जाती है। इस दिन कलश स्थापना से नवरात्र की शुरुआत होती है। कलश स्थापना के साथ मां की अखंड ज्योत और देवी की मूर्ति या चित्र को स्नान करवाकर नए वस्त्र धारण करवाएं। यदि आप अलग से देवी बिठा रहे हैं, तो ठीक है, नहीं तो उसी मंदिर में देवी को बीच में रखें। मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप देवी का चित्र या मूर्ति जो ले रहे हैं, उसमें शेर का मुंह खुला हुआ नहीं हो। नित्य देवी के चारों ओर गुलाब के फूल चढ़ाएं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा में कलश के साथ अखंड ज्योत जलाना चाहिए। इसके अलावा संकल्प की पूर्ति के बाद अखंड ज्योत जलाना चाहिए। यहां पढ़ें अगर अखंड ज्योत जला रहे हैं, तो किन बातों को मानें
अखंड ज्योत खंडित ना हो, इसके लिए क्या करें, अगर आप सोच रहे हैं कि अखंड ज्योति को सही करते समय ये कहीं बुझ ना जाए, तो इसके लिए आप सबसे पहले अखंड ज्योत से एक दीपक जला लें, इसके बाद इसे सही करें, अगर गलती से यह बुझ भी जाती है, तो आप उसे अखंड ज्योत से प्रज्जवलित दीपक से इसे वापस प्रज्जवलित कर सकते हैं।
अगर अखंड दीपक 9 दिन जला रहे हैं, तो मंदिर के अग्निकोण में जलाएं। नवरात्रि के नौ दिनों तक तक रात को भी मंदिर की बत्ती बंद न करें। अगर आप कलश स्थापना करते हैं, और नवरात्र में अखंड ज्योत जलाते हैं, तो ध्यान रखें कि नवरात्र में घर में ताला न लगे। एक साथ सब घर से बाहर न जाएं। अगर घर से कुछ दिनों के लिए बाहर जाना जरूरी है, तो अखंड ज्योत के जगह आप सुबह शाम दिया बाती कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।





