Mata Shailputri Katha: शैलराज हिमालय की पुत्री हैं मां शैलपुत्री, पढ़ें मां दुर्गा के पहले स्वरूप की पावन कथा
- Shailputri Mata Katha in Hindi: नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। जानें मां शैलपुत्री से जुड़ी पावन कथा-
Shailputri mata ki katha: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। शैल का अर्थ पहाड़ या पत्थर होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से प्रारंभ हो रहे हैं। जानें मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पावन कथा-
माता शैलपुत्री कथा-
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा को शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालयराज के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण शैलपुत्री हुआ। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी पुकारी जाती हैं। मां के दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। ये सती के नाम से भी जानी जाती है। जिसकी एक मार्मिक कथा है।
एक बार प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, परंतु भगवान शंकर को नहीं किया। माता सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। तब भगवान शंकर ने माता सती से कहा, देवी यज्ञ में सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया है, परंतु मुझे नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।
माता सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकर ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंची को सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास थे। भगवान शंकर के प्रति अपमान (तिरस्कार) का भाव था।
दक्ष ने भी उन्हें अपमानजनक वचन कहे, जिससे माता सती को दुख पहुंचा। मां सती अपने पति का अपमान न सहन कर सकीं और योगग्नि द्वारा स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुख से व्यथित होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही माता सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।
मां शैलपुत्री के पार्वती और हेमवती अन्य नाम हैं। मां शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री भगवान शिव की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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