
Sharad Purnima yog: शरद पूर्णिमा पर ध्रुव और वृद्धि योग का संयोग, जानें इस दिन क्या करें
संक्षेप: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसके अलावा स्नान और दान की पूर्णिमा 7 अक्टूबर को रहेगी। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि वर्ष 2025 में 06 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे शुरू होगी
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसके अलावा स्नान और दान की पूर्णिमा 7 अक्टूबर को रहेगी। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि वर्ष 2025 में 06 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे शुरू होगी और अगले दिन 07 अक्टूबर को सुबह 09:16 बजे समाप्त होगी। इसलिए स्नान और दान की पूर्णिमा 7 तारीख को होगी। शरद पूर्णिमा पर इस साल बहुत उत्तम योग बन रहे हैं। इस दिन उत्तरभाद्रपदा और रेवती नक्षत्र का संयोग रहेगा, इसके अलावा इस दिन वृद्धि और ध्रूव योग रहेंगे। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। ग्रहों की बात करें तो इस साल राहु कुंभ राशि में और चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे। मी राशि में चंद्रमा के साथ शनि भी होंगे।
शरद पूर्णिमा पर क्या है महत्व
शास्त्रों में शरद पूर्णिमा को बहुत खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान लक्ष्मी जी और विष्णु भगवान की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी धरती पर विचरणकरने आती है। जो रात में मां लक्ष्मी के नाम का जागरण करता है, उससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। इस दिन मंदिरों में दूध और जल से भगवान को स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। रात्रि के समय में चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखकर भगवान को भोग लगाया जाएगा।
इस दिन क्या करें
इस दिन गाय के दूध की खीर बनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा की रात को चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। ऐसे में चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इसके औषधीय गुणों की वजह से ही इस दिन खुले आसमान में खीर खाई जाती है। ये खीर अमृत के समान मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य किया जाता है। 6 अक्टूबर को चंद्रमा शाम 05:27 बजे निकलेगा।





