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Pradosh: रवि प्रदोष व्रत आज, जानें सुबह व शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त व पूजाविधि

  • Ravi Pradosh Vrat 2024 : आज आश्विन कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत है। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। जानें, आज प्रदोष पर पूजा करने के सुबह से लेकर शाम तक के पूजा मुहूर्त-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तानSun, 29 Sep 2024 03:46 AM
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Ravi Pradosh 2024: आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन आज प्रदोष का व्रत रखा जाएगा। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। इस दिन कई शिव भक्त व्रत रख भोलेनाथ की उपासना भी करते हैं। पितृ पक्ष चल रहे हैं। मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान प्रदोष का व्रत रखने या प्रदोष पर भगवान शिव की श्रद्धा के साथ पूजा करना पुण्यदायक माना जाता है। आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, चौघड़िया मुहूर्त्त व शिव पूजन विधि-

 

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रवि प्रदोष व्रत आज: ज्योतिषाचार्य अशोक पांडे के अनुसार, इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं। पितृ पक्ष में प्रदोष व्रत 29 सितंबर रविवार को है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन करना शुभ फलदायी होता है। रविवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण रवि प्रदोष व्रत का संजोग बन रहा है।

रवि प्रदोष सुबह व शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोष त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 29, 2024 को 04:47 पी एम

त्रयोदशी तिथि समाप्त - सितम्बर 30, 2024 को 07:06 पी एम

प्रदोष पूजा मुहूर्त - शाम 06:09 बजे से शाम 08:34 मिनट तक

अवधि - 02 घण्टे 25 मिनट्स

रवि प्रदोष पर चौघड़िया मुहूर्त्त

लाभ - सुबह 09:12 से सुबह 10:42 मिनट तक

अमृत - सुबह 10:42 से दोपहर 12:11 वार वेला

शुभ - दोपहर 01:41 से दोपहर 3:10 मिनट तक

शुभ - शाम 06:09 से शाम 07:40 मिनट तक

अमृत - शाम 07:40 से शाम 09:10 मिनट तक

 

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रवि प्रदोष पूजा-विधि

स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें। शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब रवि प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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