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Rama ekadashi vrat katha in hindi : रमा एकादशी व्रत कथा के बिना अधूरा है व्रत, पढ़ें राजा मुचकंद,उसकी बेटी की कथा

Rama ekadashi vrat katha in hindi : रमा एकादशी व्रत कथा के बिना अधूरा है व्रत, पढ़ें राजा मुचकंद,उसकी बेटी की कथा

संक्षेप: Rama ekadashi vrat ki katha : इस साल रमाएकादशी व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। धनतेरस से एक दिन पहले आती है और इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस व्रत में मां तुलसी और आंवले की पूजा कर इन पर दीपदान करना चाहिए।

Fri, 17 Oct 2025 06:01 AMAnuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान
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इस साल रमाएकादशी व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। धनतेरस से एक दिन पहले आती है और इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस व्रत में मां तुलसी और आंवले की पूजा कर इन पर दीपदान करना चाहिए। व्रत रखने के बाद कथा पढ़ी जाती है। रमा एकादशी व्रत कथा इस प्रकार है

भगवान कृष्ण से युधिष्ठिर ने पूछा, कार्तिक मास में कौन सी एकादशी आती है और इसका क्या फल है। भगवान कृष्ण ने कहा, हे युधिष्ठर, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नमा रमा है। इसकी कथा इस प्रकार है -प्राचीन काल में मुचुकुंद नामक एक राजा सत्यवादी और भगवान विष्णु का परम भक्त थे। सत्यवादी राजा मुचुकुंद की एक पुत्री थी, जिसका नाम चंद्रभागा था। चंद्रभागा का विवाह अन्य नगरी के राजा के पुत्र शोभन से हुआ था। राजा मुचुकुंद हर साल एकादशी का व्रत रखते थे। राजा के अलावा उनके राज्य के सभी लोग भी ये व्रत पूरे मन से रखते थे। किसी के घर खाना नहीं बनता था, एकादशी के दिन सभी लोग व्रत करते थे। मुचुकुंद के राज्य में सभी एकादशी व्रत करते थे और उस दिन सभी निराहार रहते थे। मुचुकुंद की बेटी का पति शोभन बहुत कमजोर था। वो भूखा नहीं रख सकता था। से पता था कि अगर भूखा रहा तो उसके प्राण नहीं बचेंगे। लेकिन राजा का नियम सभी के लिए एक साथ था। ऐसे में शोभन ने तय किया कि वह एकादशी व्रत करेगा। चंद्रभागा को ये चिंता होने लगी कि उसका पति भूखा कैसे रहेगा? शोभन ने भगवान पर भरोसा करके व्रत कर लिया, लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा, वह भूख-प्यास सहन न कर सका, सुबह पारण करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु से चंद्रभागा बहुत दुखी हुई। शोभन को उसके एकादशी व्रत के फलस्वरुप अगले जन्म में मंदराचल पर्वत के राज्य में राज मिला। एक दिन राजा मुचुकुंद मंदराचल पर्वत पहुंचे तो उन्होंने अपने दामाद को देखा, तो प्रसन्न हो गए। राजा ने अपनी पुत्री चंद्रभागा को बताई तो वह भी प्रसन्न हुई। इसके बाद चंद्रभागा ने भी रमा एकादशी का व्रत किया और इस व्रत के शुभ फल से वह अपने पति के पास चली गई।

Anuradha Pandey

लेखक के बारे में

Anuradha Pandey
अनुराधा पांडे लाइव हिन्दुस्तान में एस्ट्रोलॉजी और करियर सेक्शन लीड कर रही हैं। इन्हें पत्रकारिता जगत में करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। ज्योतिष और धर्म-अध्यात्म से जुड़े विषयों पर पिछले 10 सालों से लिख रही हैं। इन्होंने हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली और ग्रैजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से किया है। लाइव हिन्दुस्तान में करियर का लंबा हिस्सा बीता और काम करते-करते 9 साल हो गए हैं। एस्ट्रोलॉजी और करियर से जुड़ी खबरों के अलावा हेल्थ पर लिखने शौक है। इससे पहले तीन साल तक आज तक वेबसाइट में एजुकेशन सेक्शन में भी काम किया है। और पढ़ें
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