
Raksha Bandhan muhurat:रक्षाबंधन पर इस साल 97 साल बाद ऐसा योग, 297 वर्ष बाद दुर्लभ ग्रह संयोग, राखी बांधन का समय कब ?
संक्षेप: aksha bandhan muhurat time :इस बार रक्षा बंधन पर्व 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। भारतीय शास्त्रों में श्रावणी पर्व रक्षाबंधन को विशेष महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन कई शुभ योग एक साथ बन रहे हैं, जो इसे अत्यंत दुर्लभ और शुभ बना रहे हैं।
इस बार रक्षा बंधन पर्व 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। भारतीय शास्त्रों में श्रावणी पर्व रक्षाबंधन को विशेष महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन कई शुभ योग एक साथ बन रहे हैं, जो इसे अत्यंत दुर्लभ और शुभ बना रहे हैं। रक्षाबंधन 2025 पर आयुष्मान योग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धि योग और सौभाग्य योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। साथ ही शनैश्चरी पूर्णिमा, मकर राशि का चंद्रमा, श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र और प्रीति योग भी इस दिन को विशेष बना रहे हैं। ऐसा दिव्य संयोग अंतिम बार 97 वर्ष पूर्व 1928 में बना था। यह योग कृषि, पारिवारिक समृद्धि और सामाजिक सौहार्द के लिए अत्यंत फलदायी माना जा रहा है।
रक्षा बंधन पर ग्रहों का संयोग
इसके अतिरिक्त इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व पर 297 वर्ष बाद दुर्लभ ग्रहों की स्थिति विशेष रहेगी। सूर्य कर्क राशि में, चंद्रमा मकर में, मंगल कन्या में, बुध कर्क में, गुरु और शुक्र मिथुन में, राहु कुंभ में और केतु सिंह राशि में रहेगा। ऐसा संयोग 1728 में बना था। उस समय भी भद्रा पृथ्वी पर नहीं थी और ग्रहों की स्थिति ऐसी ही थी। इस बार भी भद्रा रहित वैसा ही योग बन रहा है। यह समय शुभ कार्यों के लिए उत्तम रहेगा। भद्रा का नहीं है साया इस बार रक्षाबंधन पर किसी भी प्रकार की भद्रा या ग्रहण का साया नहीं रहेगा। भद्रा काल रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व यानी 8 अगस्त की रात में ही समाप्त हो जाएगा। इसके चलते 9 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधने का शुभ समय उपलब्ध रहेगा। इस कारण बहनें बिना किसी समय की चिंता के दिनभर अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी।
कब है रक्षा बंधन
भाई-बहन के स्नेह, सुरक्षा और विश्वास का भी पर्व है। जिसमें बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर उनकी दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। इस वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी। तिथि का समापन 9 अगस्त शनिवार को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर है। उदया तिथि के अनुसार 9 अगस्त को भद्रा रहित रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा।वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानन्द पुरी महाराज ने बताया कि गुरुओं को रक्षा सूत्र बांधकर उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है, जो ज्ञान के आदान-प्रदान और शिष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वेदपाठी ब्राह्मण वर्ष भर में हुए पाप-कर्मों का प्रायश्चित्त कर जीवन को सकारात्मक दिशा देने के लिए श्रावणी उपाकर्म विधान करते है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इनके लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।





