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Radha Ashtami : राधा अष्टमी 31 अगस्त को, बन रहे हैं कई शुभ संयोग, इस विधि से करें पूजा

Radha Ashtami : राधा अष्टमी 31 अगस्त को, बन रहे हैं कई शुभ संयोग, इस विधि से करें पूजा

संक्षेप: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि जगत की देवी राधा रानी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर श्रीजी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा रानी अवतरित हुई थीं। इसके लिए हर साल भाद्रपद महीने में राधा अष्टमी मनाई जाती है।

Thu, 28 Aug 2025 07:38 PMYogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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Radha Ashtami : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि जगत की देवी राधा रानी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर श्रीजी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा रानी अवतरित हुई थीं। इसके लिए हर साल भाद्रपद महीने में राधा अष्टमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा रानी के महज नाम जप से व्यक्ति विशेष का उद्धार हो जाता है। वह पुण्यकाल भागी बन जाता है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से राधा अष्टमी के दिन श्रीजी और कृष्ण कन्हैया की पूजा करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 30 अगस्त को देर रात 10 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। वहीं 31 अगस्त को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए राधा अष्टमी का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा।

राधा अष्टमी पर कई शुभ संयोग- राधा अष्टमी पर सिंह राशि में बुध और सूर्य ग्रह के होने से बुधादित्य योग बनेगा। साथ ही सिंह राशि में केतु, सूर्य और बुध के होने से त्रिग्रही योग का भी निर्माण भी हो रहा है।

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इस विधि से करें पूजा- प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें। कलश पर तांबे का पात्र रखें। अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें।तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें। ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए। पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें। दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।

राधा अष्टमी का विशेष महत्व होता है-

जन्माष्टमी की तरह राधाष्टमी का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो लोग राधा रानी जी को प्रसन्न कर लेते हैं। उनसे भगवान श्री कृष्णा अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राधा रानी के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। इसलिए राधा अष्टमी का त्यौहार भी कृष्ण जन्माष्टमी की तरह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

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Yogesh Joshi

लेखक के बारे में

Yogesh Joshi
योगेश जोशी हिंदुस्तान डिजिटल में सीनियर कंटेंट प्रड्यूसर हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मेहला गांव के रहने वाले हैं। पिछले छह सालों से पत्रकरिता कर रहे हैं। एनआरएआई स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेश से जर्नलिज्म में स्नातक किया और उसके बाद 'अमर उजाला डिजिटल' से अपने करियर की शुरुआत की, जहां धर्म और अध्यात्म सेक्शन में काम किया।लाइव हिंदुस्तान में ज्योतिष और धर्म- अध्यात्म से जुड़ी हुई खबरें कवर करते हैं। पिछले तीन सालों से हिंदुस्तान डिजिटल में कार्यरत हैं। अध्यात्म के साथ ही प्रकृति में गहरी रुचि है जिस कारण भारत के विभिन्न मंदिरों का भ्रमण करते रहते हैं। और पढ़ें
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