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दीपावली पंचमहोत्सव: धनतेरस से भैया दूज तक बन रहे शुभ मुहूर्त

वैदिक धर्म के अंतर्गत प्रत्येक त्योहार का अपना अलग-अलग महत्व है, लेकिन पंचमहोत्सव दीपावली का त्योहार सबसे अधिक महत्व रखता है। इस त्योहार से हमारी अनेकों सामाजिक एवं धार्मिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं।...

दीपावली पंचमहोत्सव: धनतेरस से भैया दूज तक बन रहे शुभ मुहूर्त
लाइव हिन्दुस्तान टीम,मेरठ Wed, 23 Oct 2019 01:14 AM
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वैदिक धर्म के अंतर्गत प्रत्येक त्योहार का अपना अलग-अलग महत्व है, लेकिन पंचमहोत्सव दीपावली का त्योहार सबसे अधिक महत्व रखता है। इस त्योहार से हमारी अनेकों सामाजिक एवं धार्मिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं। ज्योतिषविद विष्णु शर्मा ने पंच महोत्सव के शुभ मुहूर्त के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दीं।

 धनत्रयोदशी धनवन्तरि जयंती
इस वर्ष 25 अक्तूबर को धनतेरस है। आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धनवन्तरि का अवतार पर्व भी है। इस पर्व का उद्देश्य कुटुम्ब में असाध्य रोगों, अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए धनवन्तरि भगवान का पूजन किया जाता है। इस दिन महामृत्युंजय यंत्र की विशेष रूप से पूजा की जाती है। शाम के समय यमराज के लिए एक आटे का चौमुखा दीपक घर से बाहर रखा जाता है। साथ ही धनतेरस शुक्रवार को होने से और भी अधिक शुभ संयोग बन रहा है।

छोटी दीपावली, नरक चतुर्दशी

 इस बार 26 अक्तूबर को छोटी दीपावली पड़ रही है। इस दिन हनुमान की विशेष पूजा की जाएगी। छोटी दीपावली में भी कम से कम 11 दीपक जरूर जलाने चाहिए। शाम के समय दो तेल के चौमुखे दीपक, दो नीले रूमाल, कुछ काली उड़द, दो लोहे की कीलें, दो इमरती पीपल की जड़ में रख दें या दरिया में विसर्जित कर आएं।

बड़ी दीपावली, कार्तिक अमावस्या
27 अक्तूबर को पंच महोत्सव दीपावली का विशेष दिवस माना जाता है। इस दिन गणपति, महालक्ष्मी, कुबेर, नवगृह, कलश, दीपक, सरस्वती, महाकाली, कलम दवात, डायरी, बहीखाता, बाट तराजू आदि का विशेष रूप से पूजन किया जाता है। इसके अलावा दुकान व व्यापार स्थल में सुबह 10. 47 से दोपहर 12.10 बजे तक, घर में पूजन के लिए शाम 5.40 से रात 8.16 बजे तक और रात में तांत्रिकों के लिए या महाकाली पूजन के लिए 10.51 बजे से रात 1.14 बजे तक विशेष पूजन समय है।

गोवर्धन
दीपावली के बाद 28 अक्तूबर को गोवर्धन पर्व है। इसमें वर्तमान ऋतु संबंधी सब्जी, पकवान आदि बनाकर प्रसाद बांटा जाता है। इस पर्व पर भगवान कृष्ण, इंद्र, वरुण, अग्नि आदि देवताओं की पूजा की जाती है।

भय्या दूज, यम द्वितीया
29 अक्तूबर को यह पर्व मनाया जाएगा। पुराण के अनुसार इस पर्व का यम और उसकी बहन यमुना से सभी संबंध है। इस दिन बहन द्वारा भाई के टीका लगाकर और उसे गोला प्रदान कर भोजन कराना चाहिए। इस पर्व पर जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उसके हाथ का बना भोजन ग्रहण करता है वह धन धान्य से परिपूर्ण रहता है।

पंडित विनय द्वारा दीपावली पर अलग-अलग प्रतिष्ठानों के लिए बताया गया समय:

दुकान में पूजन के लिए: सुबह 8 से 9.23 बजे तक (अमृत चौघड़िया)

फैक्ट्री में पूजन के लिए: सुबह 10.47 से 12.10 बजे तक (शुभ चौघड़िया)

घर में पूजन के लिए श्रेष्ठ: शाम 5.40 से रात 8.16 बजे तक (प्रदोष काल)

घर में पूजन के लिए: शाम 6.42 बजे से रात 8.37 बजे तक और शाम 7.15 से रात 8.36 बजे तक (वृष लग्न)।

 

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