Pradosh Vrat 2025:जनवरी माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब है? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और शिव पूजन की सरल विधि
- Pradosh Vrat 2025: हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि शिवजी की पूजा-आराधना के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए शिव-गौरी की विधिवत पूजा की जाती है।

Pradosh Vrat 2025: शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का दिन बेहद खास होता है। हर माह में आने वाले शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए विशेष होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, जनवरी माह का दूसरा प्रदोष व्रत 27 जनवरी 2025 दिन सोमवार को रखा जाएगा। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। सोम प्रदोष व्रत का दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन संतान सुख और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं कि जनवरी माह के दूसरे प्रदोष व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और शिव पूजन की सरल विधि...
जनवरी 2025 का दूसरा प्रदोष व्रत
द्रिक पंचांग के अनुसार,पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 26 जनवरी 2025 को रात 08 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है और अगले दिन 27 जनवरी 2025 को रात 08 बजकर 34 मिनट पर समाप्त हो रहा है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार और प्रदोष काल पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए 27 जनवरी दिन सोमवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
पूजा मुहूर्त : 27 जनवरी को सोम प्रदोष के दिन प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 42 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत 2025: पूजाविधि
सोम प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ का ध्यान करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। संभव हो, तो पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें। मंदिर में शिव-गौरी की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं और शिवजी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद प्रदोष काल में पूजा आरंभ करें। प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। शाम को शिव मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग पर जल,दूध, दही, गंगाजल,शहद और घी अर्पित करें। इसके बाद शिवजी को बिल्वपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग समेत सभी पूजा सामग्री चढ़ाएं। सोम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। शिवजी के बीज मंत्र ऊँ नमः शिवाय का 108 बार जाप करें। इसके बाद शिवजी की आरती उतारें। पूजा के दौरान हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना मांगे और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा समाप्त करें।