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रहस्यमयी प्रवृत्ति के होते हैं आश्लेषा नक्षत्र में जन्में जातक

  • इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों पर बुध का प्रभाव देखने को मिलता है। बुध के प्रभाव के कारण वाणी काफी मधुर होती है। इस कारण इनकी बातों से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। आश्लेषा नक्षत्र के जातक अत्यधिक अहंकारी भी होते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, डॉ संजीव कुमार शर्माTue, 17 Sep 2024 08:42 AM
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आश्लेषा नक्षत्र से संबंधित सभी राशियों में विष तत्व होने के कारण यह नक्षत्र अपने शत्रुओं को नष्ट करने के लिए विष उत्पन्न करने वाला होता है। इस नक्षत्र में स्थित सभी ग्रहों के कारक तत्वों में विष होता है। उदाहरण के लिए चतुर्थ भाव के स्वामी के चतुर्थ भाव में होने पर मानसिक शांति समाप्त हो सकती है।

इसका संबंध परिवर्तन से भी है। जिस प्रकार सांप अपनी त्वचा को छोड़ते समय अपनी आंखें बंद होने के कारण शीत निद्रा में चला जाता है। उसी प्रकार आश्लेषा नक्षत्र में दृष्टि दयनीय हो जाती है। इस नक्षत्र में मंगल नीच का होता है, जो अपनी नकारात्मक ऊर्जा से कार्य करता है और बिना चोट पहुंचाए भी नुकसान पहुंचा देता है। आर्द्रा, ज्येष्ठा और मूल की तरह आश्लेषा नक्षत्र एक तीक्ष्ण नक्षत्र है।

आश्लेषा नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व कैसा होता है?

आश्लेषा नक्षत्र एक अधोमुखी नक्षत्र है, जिसका मुख नीचे की ओर होता है। चालबाजी करने वाले, अंडरवर्ल्ड और संदिग्ध लोगों जैसी सभी भूमिगत गतिविधियां इस नक्षत्र के अंतर्गत आती हैं।

इस नक्षत्र से संबंधित देवता नाग हैं। यह नक्षत्र आकस्मिकता से जुड़े होने के कारण लोगों को हैरान करने की क्षमता रखता है। इन जातकों में दुर्घटना की संभावनाएं भी होती हैं। इस नक्षत्र का स्वामी बुध होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों पर बुध का प्रभाव देखने को मिलता है। बुध के प्रभाव के कारण इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों की वाणी काफी मधुर होती है। इस कारण इनकी बातों से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। ऐसे लोग अपने दोस्तों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। आश्लेषा नक्षत्र के जातक अत्यधिक अहंकारी होते हैं। इस नक्षत्र के चार चरणों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।

प्रथम चरण इस नक्षत्र का पहला चरण धनु नवांश में आता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है। इस चरण में जन्म लेनेवाले जातक देखभाल करने वाले और भावुक होते हैं। यह लोग अकसर दूसरों की भलाई करने के लिए तत्पर रहते हैं।

द्वितीय चरण इसका दूसरा चरण मकर नवांश में आता है और शनि द्वारा शासित होता है। इस चरण में जन्मे लोग चतुर होते हैं। यह लोग अपने फायदे के लिए दूसरों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते।

तृतीय चरण इसका तीसरा चरण कुंभ नवांश में आता है और शनि द्वारा शासित होता है। इस चरण में जन्म लेनेवाले बहुत ही रहस्यमयी होते हैं।

चतुर्थ चरण इस नक्षत्र का चौथा चरण मीन नवांश में आता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है। इस चरण में पैदा हुए लोग कुछ भी गलत होने की जिम्मेदारी खुद ले लेते हैं।

सोर्स- डॉ संजीव कुमार शर्मा

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