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पौष पूर्णिमा और शाकंभरी जयंती 13 जनवरी को, जानें कैसे करें पूजा

  • Paush Purnima 2025 : इस बार पौष पूर्णिमा और शाकंभरी जयंती का अद्भुत संयोग है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी शाकंभरी का अवतार तब हुआ था, जब धरती पर अकाल पड़ा और जीव-जंतु भूख से व्याकुल हो गए।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 11 Jan 2025 03:49 PM
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पौष पूर्णिमा का पावन पर्व सोमवार 13 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन देवी शाकंभरी जयंती भी मनाई जाएगी। इसे शक्ति और प्रकृति की देवी शाकंभरी के अवतरण दिवस के रूप में जाना जाता है। देवी शाकंभरी को शाकाहार और हरित ऊर्जा की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। भक्त इस दिन देवी की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि और शांति की कामना करेंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी शाकंभरी का अवतार तब हुआ था, जब धरती पर अकाल पड़ा और जीव-जंतु भूख से व्याकुल हो गए। देवी ने अपनी शक्ति से पूरे जगत को अन्न, फल और सब्जियां प्रदान की और जीवन को पुन: सजीव किया। उनका नाम शाकंभरी इसलिए पड़ा, क्योंकि उन्होंने शाक यानि सब्जी और अंभरी यानि भरने वाली के रूप में संसार का भरण-पोषण किया।

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पौष पूर्णिमा और शाकंभरी जयंती का अद्भुत संयोग: इस बार पौष पूर्णिमा और शाकंभरी जयंती का अद्भुत संयोग है। यह दिन न केवल चंद्रमा की पूर्ण कलाओं का प्रतीक है, बल्कि देवी शक्ति की कृपा पाने का भी विशेष अवसर है। पूर्णिमा पर देवी की आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है।

पूजा-विधि: पवित्र नदी में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। देवी शाकंभरी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं और फल, फूल, तिल और शाक (सब्जियां) अर्पित करें। इस दिन देवी महिमा का गुणगान करते हुए भजन-कीर्तन करें। गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।

शाकंभरी देवी के प्रमुख मंदिर: देवी शाकंभरी के कई प्रमुख मंदिर भारत में स्थित हैं। इनमें राजस्थान का शाकंभरी शक्ति पीठ, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शाकंभरी मंदिर और मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के कई मंदिर प्रसिद्ध हैं। पौष पूर्णिमा के दिन इन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भंडारा होता है। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य अर्जित किया जाता है। सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने और व्रत रखने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन से माघ मास के कल्पवास और तीर्थ स्नान की शुरुआत होती है। पौष पूर्णिमा और शाकंभरी जयंती का यह शुभ संयोग भक्तों के लिए देवी शक्ति की कृपा पाने का अद्भुत अवसर है। इस दिन की गई पूजा, दान और साधना से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद मिलेगा।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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