Parivartini ekadashi : 14 सितंबर को जलझूलनी एकादशी, भगवान विष्णु लेते हैं योगनिद्रा से करवट, जानें राहुकाल और पारण टाइम
- परिवर्तिनी एकादशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी को मनाया जाता है। इस साल परिवर्तिनी एकादशी व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है।
परिवर्तिनी एकादशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी को मनाया जाता है। इस साल परिवर्तिनी एकादशी व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा की जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जो चार माह के सो चुके हैं, वो करवट लेते हैं। मान्यताओं के अनुसार विष्णु, शंकर और पार्वती के साथ गणेश जी की अराधना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई जगह इसे कर्मा एकादशी भी कहते हैं। इस अवसर पर भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शंकर, माता पार्वती और गणेश की अराधना की जाती है। बहनें अपने भाइयों के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन का काफी महत्व है। क्योंकि यह सिर्फ भगवान विष्णु की भक्ति का ही नहीं, बल्कि त्रिदेवों के साथ मां पार्वती जी की पूजन का भी मौका होता है।
व्रत का पारण टाइम और राहुकाल
एकादशी व्रत विधि विधान से रखा जाता है। इस व्रत में दशमी तिथि की रात से व्रत के नियमों का पालन करते हैं और अगले दिन एकादशी पर व्रत रखते हैं और इसका पारण अगले दिन द्वादशी पर करते हैं। इस तरह तीनों दिन व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इस बार एकादशी तिथि 13 सितंबर शुक्रवार की रात को 10.30 बजे ही लगा जाएगी, इसके बाद 14 सितंबर को उदया तिथि को व्रत रखा जाएगा। व्रत के दिन राहुकाल सुबह 09:11 बजे से 10:44 बजे तक है. इस समय में पूजा वर्जित है. इस दिन पाताल की भद्रा सुबह 09:41 बजे से रात 08:41 बजे तक है।इसके बाद अगले दिन 15 सितंबर को सुबह 6.30 बजे तक पारण कर सकते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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